भक्तों ने शिवालयों में शारीरिक दूरी बनाकर किया जलाभिषेक
सावन के चौथे सोमवार को शिवालयों में शिव भक्त उमड़े जरूर मगर शारीरिक दूरी का भी पालन रखा। हर हर महादेव और बम भोले के जयकारों के बीच लोगों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की।
कौशांबी : सावन के चौथे सोमवार को शिवालयों में शिव भक्त उमड़े जरूर मगर शारीरिक दूरी का भी पालन रखा। हर हर महादेव और बम भोले के जयकारों के बीच लोगों ने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना की। इस दौरान महादेव से कोरोना जैसी महामारी से समाज की रक्षा का वरदान भी भक्तों ने मांगा।
वैसे तो श्रावण मास भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन सोमवार का दिन शिव पूजा के लिए अति विशेष फलदायी होता है। इस दिन सच्चे मन से की गई शिव भक्ति मनोकामनाओं को पूरा करती है। सोमवार को सुबह से ही भक्तों की भीड़ शिवालयों में पहुंची। जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल, जौ, धतूर, भांग, दूध आदि चढ़ाकर भक्तों ने पूजन अर्चन किया। तन्त्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है । वहीं कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि चौथे सोमवार को एक मुट्ठी जौ चढ़ाने का अलग महत्व है। कोरोना संक्रमण के चलते मंदिरों में भीड़ नहीं लग सकी। श्रद्धालुओं ने एक-एक करके मंदिर में जाकर पूजा अर्चना की। ज्यादातरों ने श्रद्धालुओं ने घर पर ही शिव की पूजा अर्चना कर अपनी आस्था को बरकरार रखा। ताकि आस्था भी बनी रहे और कोरोना का संक्रमण भी फैलने न पाए। सोमवार का व्रत रहे लोगों ने पूरे दिन पूजन अर्चन किया। शाम को शिवालयों में कीर्तन आदि कर दिन बिताया। शाम को उन्होंने अपना व्रत तोड़ा।
बोले श्रद्धालु :
सावन भोलेनाथ के माह के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव का ध्यान रखकर पूजा अर्चना करने मात्र से वह खुश होकर मन वांछित फल देते हैं। कोरोना की रफ्तार तोड़ने के लिए सभी शिव की पूजा करें और सुरक्षित रहते हुए घर पर भी उनकी आराधना कर फल प्राप्त कर सकते हैं।
- सपना केसरवानी सावन का महीना हिदू धर्म के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसी माह से त्योहारों की शुरुआत होती है। सभी लोग उल्लास व उत्साह से पर्व मनाते हैं। परंतु इस बार कोविड -19 संक्रमण के चलते धूमधाम से मंदिरों में भीड़ लगाने की बजाय घर में ही पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
- ममता जायसवाल सावन का महीना पवित्र माना गया है। यह माह भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष है। वैसे तो हर दिन भगवान का पूजन होता है, लेकिन सोमवार का अपना अलग महत्व है। हम सब आस्था के साथ भोले बाबा से कोरोना संकट से निपटने का वरदान मांग रहे हैं।
- वंदना देवी
चौथे सोमवार को भगवान भोलेनाथ सिर्फ जल व बेलपत्र चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इस दिन एक मुट्ठी जौ चढ़ाने का विशेष महत्व है। भक्त को मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
- संगीता देवी
बारिश के लिए ग्रामीणों ने किया जलाभिषेक
संसू, बारा : कौशांबी क्षेत्र के यमुना नदी के किनारे बसे गढ़वा गांव में सोमवार को ग्रामीणों ने प्राचीन शिव मंदिर में जलाभिषेक किया। मान्यता है कि मंदिर से जलाभिषेक के बाद निकला पानी यमुना नदी तक पहुंचता है तो बारिश होना निश्चित है। मान्यता के अनुसार सावन के चौथे सोमवार को गांव के लोगों ने मिलकर जलाभिषेक किया। यमुना नदी से जल लाकर भगवान शिव को अर्पण किया। प्रधान शिव पूजन यादव, कुलदीप दुबे, मुन्ना केसरवानी, मदन मोहन तिवारी, राम गोपाल आदि ग्रामीणों ने बताया कि यह सदियों पुरानी परंपरा है जिसे आज भी गांव के लोग निभा रहे हैं। मंदिर में जलाभिषेक के बाद क्षेत्र में बारिश होना तय है। इस दौरान ग्रामीण उत्साह के साथ भगवान भोलेनाथ के जयकारे लगाते हुए तब तक जलाभिषेक करते रहे, जब तक मंदिर से निकला पानी यमुना नदी में नहीं पहुंच गया। प्रतापगढ़ से गंगा जल लेने आए श्रद्धालु
जासं, कौशांबी : सावन माह में कोरोना के चलते भक्त बाबा धाम नहीं जा सके। ऐसे में वह स्थानीय स्तर पर ही भक्ति भाव के साथ भगवान का जलाभिषेक कर रहे हैं। सोमवार को प्रतापगढ़ के चंद्रिका से भक्तों का एक जत्था तीर्थ क्षेत्र कड़ा पहुंचा। चंद्रिका गांव के विनोद ने बताया कि उनके साथ आठ लोग कड़ा धाम आए हैं। यहां माता शीतला के दर्शन व जलहरी भरने के बाद भक्त गंगा जल लेकर प्रतापगढ़ के घुइसरनाथ तीर्थ स्थल के लिए रवाना हो गए।