चौराडीह का हाल : बेसहारा बुजुर्ग और गांव बदहाल
चायल तहसील का चौराडीह गांव की पहचान तंग गलियां और बजबजाती हुई नालियां बन गई हैं। गांव के लोगों को सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला। जबकि तीन हजार से अधिक की आबादी वाले इस गांव में जिला प्रशासन की ओर से हर सुविधा मुहैया कराए जाने का दावा किया जा रहा है। जिम्मेदार भी जमीनी हकीकत से वास्ता नहीं रखते।
संसू, कसेंदा : चायल तहसील का चौराडीह गांव की पहचान तंग गलियां और बजबजाती हुई नालियां बन गई हैं। गांव के लोगों को सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिला। जबकि तीन हजार से अधिक की आबादी वाले इस गांव में जिला प्रशासन की ओर से हर सुविधा मुहैया कराए जाने का दावा किया जा रहा है। जिम्मेदार भी जमीनी हकीकत से वास्ता नहीं रखते।
चौराडीह की आबादी करीब तीन हजार की है। गांव तक पहुंचने का मुख्य मार्ग खेतों से होकर गुजरता है। जो एक तालाब के किनारे से गांव के अंदर जाता है। बारिश के दिनों में इस सड़क पर जल भराव की स्थिति हो जाती है। ऐसे में बारिश के दौरान गांव के अंदर पहुंचना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। गांव के अंदर की गलियां तंग हैं। जो चौड़ी सड़क है, उसके किनारे पर जल निकासी के लिए नाली बनी है। सफाई कर्मी के होने के बाद भी नालियों की सफाई नहीं होती। ऐसे लगता है कि सफाई कर्मी गांव आता ही नहीं है। वह बिना काम के ही माह के 27 हजार रुपये वेतन ले रहा है। गांव के जिम्मेदार इन समस्याओं को लेकर अपनी आंखें बंद किए हुए हैं। ग्रामीणों की मानें तो न उन्हें शौचालय का लाभ मिला है और न ही पात्रों को आवास व पेंशन जैसी किसी योजना मेहरबान है। जिन लोगों के घर बारिश में गिर गए हैं, उनके पास तिरपाल डालकर रहने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है। ग्रामीणों ने अपनी इन समस्याओं को लेकर प्रधान व सचिव के साथ ही ब्लाक के अधिकारियों को अवगत भी किया, लेकिन अब तक उनकी नजर गांव के लोगों की समस्या पर नहीं पड़ी। - लोगों को पात्र होने के बाद भी अब तक आवास योजना का लाभ नहीं मिला। इसे लेकर गांव के लोगों ने शिकायत की।
- शिवलाल - सरकारी योजना का लाभ कुछ लोगों के पास तक सिमट कर रह गया है। बार-बार आवेदन के बाद भी पेंशन तक नहीं मिली।
- मालती देवी गांव की हालत सही नहीं है। इसे देखने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में यहां भगवान भरोसे जीवन जिया जा रहा है।
- भगनी देवी गांव की गलियों की नालियां गंदगी से चोक हैं। इनमें सफाई नहीं होती। बारिश के दिनों में तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
- हरिलाल