धक्का बगैर नहीं चलती चायल तहसीलदार की गाड़ी
तहसील में जिनके जिम्मे कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है वह अफसर कब और कहां बेबसी के शिकार हो जाए कह पाना मुश्किल है। उपजिलाधिकारी को मिली सरकारी जीप का न तो गियर बॉक्स ठीक हैं न ही ब्रेक सेल्फ और क्लच। जीप की सीट भी पूरी तरह से फट चुकी हैं। ऐसी पुरानी गाड़ियों को यातायात विभाग कंडम घोषित कर देता है। इसके बावजूद तहसीलदार के साथ उनके अर्दली और होमगार्ड इसी खटारा वाहन से चलने को मजबूर हैं। तहसीलदार को क्षेत्र में कहीं जाने से पहले होमगार्डों से जीप में धक्का लगवाना पड़ता है।
चायल : तहसील में जिनके जिम्मे कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है, वह अफसर कब और कहां बेबसी के शिकार हो जाए कह पाना मुश्किल है। उपजिलाधिकारी को मिली सरकारी जीप का न तो गियर बॉक्स ठीक हैं न ही ब्रेक, सेल्फ और क्लच। जीप की सीट भी पूरी तरह से फट चुकी हैं। ऐसी पुरानी गाड़ियों को यातायात विभाग कंडम घोषित कर देता है। इसके बावजूद तहसीलदार के साथ उनके अर्दली और होमगार्ड इसी खटारा वाहन से चलने को मजबूर हैं। तहसीलदार को क्षेत्र में कहीं जाने से पहले होमगार्डों से जीप में धक्का लगवाना पड़ता है।
चायल तहसील की सरकारी जीप करीब 20 साल पुरानी है। दस्तावेज के अनुसार यह जीप एसडीएम ज्योति मौर्या को दौरा करने के लिए मिली थी। उनको मिली सरकारी जीप आए दिन खराब रहती है। जर्जर हो चुकी जीप के चलने पर पुर्जे-पुर्जे हिलने लगते हैं। जान को जोखिम में डाल अधिकारी, अर्दली, सिपाही इलाके का दौरा कर रहें हैं। ऐसे में नायब तहसीलदार को मिली नई सरकारी गाड़ी को एसडीएम ज्योति मौर्या दौरे के लिए उपयोग कर रही हैं। तहसीलदार को सरकारी वाहन न मिलने से एसडीएम की खटारा जीप को सरकारी काम के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कार्यालय से क्षेत्र में कहीं जाने पर जीप को स्टार्ट करने के लिए होमगार्डों से धक्का लगवाना पड़ता हैं। इस जीप पर मरम्मत में भी काफी रुपये खर्च हो चुके हैं। जबकि ऐसी पुरानी गाड़ियों को यातायात विभाग कंडम घोषित कर चुका है। उपजिलाधिकारी का कहना है कि शासन को वाहनों की डिमांड भेजा गया है। नए वाहन आने पर ही अधिकारियों को उपलब्ध हो पाएगा।