Move to Jagran APP

मोतियाबिद ने कल्लू के कुनबे की जिदगी में किया अंधेरा

जिले में लाखों रुपये खर्च कर चलाया जा रहा अंधता निवारण कार्यक्रम भी तमाम गरीबों की जिंदगी में रोशनी रूपी उजाला दे पाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहा है। विकास खंड नेवादा के ग्राम पंचायत मुस्तफाबाद में मजरा पिपरहा निवासी कल्लू मौर्या का कुनबा इस बात का जीता जागता गवाह है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 11:01 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 11:01 PM (IST)
मोतियाबिद ने कल्लू के कुनबे  की जिदगी में किया अंधेरा
मोतियाबिद ने कल्लू के कुनबे की जिदगी में किया अंधेरा

लवकुश यादव, कसेंदा (कौशांबी): जिले में लाखों रुपये खर्च कर चलाया जा रहा अंधता निवारण कार्यक्रम भी तमाम गरीबों की जिंदगी में रोशनी रूपी उजाला दे पाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहा है। विकास खंड नेवादा के ग्राम पंचायत मुस्तफाबाद में मजरा पिपरहा निवासी कल्लू मौर्या का कुनबा इस बात का जीता जागता गवाह है।

loksabha election banner

बकौल कल्लू उसकी आंखों की रोशनी दो वर्ष पहले कम होनी शुरू हुई थी। अस्पताल में दिखाया तो डॉक्टरों ने मोतियाबिद बताया। पत्नी शांति देवी की आंखों में भी मोतियाबिद मिला। मोतियाबिंद का आपरेशन न होने के कारण दोनों की रोशनी गुम सी हो गई है। कोढ़ में खाज वाली स्थिति यह है कि कल्लू की इकलौती बेटी आशा देवी बचपन से ही नेत्रहीन है। कल्लू और उसकी पत्नी दिखाई नहीं दिखने की वजह से मेहनत मजदूरी तक नहीं कर पा रहे हैं और कुनबा आमतौर पर दाने-दाने को मोहताज है। सरकारी सुविधाओं का लाभ पाने के लिए कल्लू ने प्रधान व खंड विकास अधिकारी तक अपनी आवाज पहुंचाई थी, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।

न मिला न ही आवासीय सुविधा

शासन स्तर से गरीब, बेसहारा लोगों की मदद के लिए यूं तो तमाम जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन भूमिहीन कल्लू के परिवार को अब तक ना आवास मिला है न ही राशन कार्ड। कुनबा इन दिनों खपरैला नुमा घर में जीवन जी रहा है।

विधायक ने कहा-मदद करेंगे

चायल के विधायक संजय गुप्ता तक जब यह बात पहुंचाई गई तो उन्होंने मदद का भरोसा दिलाया। कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। जल्द ही वह कल्लू के परिवार से मिलकर चिकित्सा सुविधाएं दिलाने के साथ जरूरी आर्थिक मदद करेंगे। रोशनी देने की धीमी चाल

मोतियाबिंद का आपरेशन कर लोगों को रोशनी देने वाली जिला अंधता निवारण समिति का कार्य कैसा है, इसका आकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौजूदा वित्तीय 8960 मोतियाबिंद आपरेशन का लक्ष्य था, लेकिन अब तक 1670 ही किए जा सके हैं। हालांकि समिति के नोडल अधिकारी डा. अभिजीत मलिक कहते हैं कि ठंड के दिनों में लोग ज्यादा आपरेशन कराते हैं, इसलिए इस काम में अब तेजी आएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.