विदेशी मांगुर को लेकर अभियान, मछली मिलने पर होगी कार्रवाई
विदेशी मांगुर मछली सेहत के लिए हानिकारक है। इसके खाने से कैंसर के साथ अन्य बीमारी भी हो सकती है। इसके पालन व बिक्री को सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है। इसके बाद भी बाजार में मछली मिल रही है। जानकारी के बाद मत्स्य विभाग ने इसको लेकर अभियान चला दिया है। इसके लिए अधिकारी व कर्मचारी बाजारों में पहुंचकर मत्स्य विक्रेताओं को सचेत कर रहे हैं। इसके बाद यदि किसी के पास मांगुर मछली मिली तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगाी।
कौशांबी : विदेशी मांगुर मछली सेहत के लिए हानिकारक है। इसके खाने से कैंसर के साथ अन्य बीमारी भी हो सकती है। इसके पालन व बिक्री को सरकार ने प्रतिबंधित कर रखा है। इसके बाद भी बाजार में मछली मिल रही है। जानकारी के बाद मत्स्य विभाग ने इसको लेकर अभियान चला दिया है। इसके लिए अधिकारी व कर्मचारी बाजारों में पहुंचकर मत्स्य विक्रेताओं को सचेत कर रहे हैं। इसके बाद यदि किसी के पास मांगुर मछली मिली तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगाी।
विदेशी मागुर मछली को थाई मांगुर के नाम से भी जाना जाता है। इस मछली को भारत सरकार ने वर्ष 2000 में प्रतिबंधित कर दिया था। इसके पालन, विपणन, संवर्धन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। इसके बाद भी यह मछली बाजारों में मिल रही है। वाराणसी में कुछ दिनों पहले भारी मात्रा में विदेशी मांगुर मछली पकड़ी गई थी। इसके बाद से जिले में भी इसकी तलाश शुरू कर दी गई। मत्स्य निरीक्षक सुशील कुमार सिंह ने बुधवार को चायल क्षेत्र के चौराडीह समेत विभिन्न बाजारों में पहुंचकर मत्स्य विक्रेताओं को जानकारी दी। बताया कि यह मछली कैंसर जैसे रोगों का कारण बन सकती है। बताया कि अधिक मुनाफा के चक्कर में कुछ लोग इस मछली का पालन कर रहे हैं जबकि यह पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बताया कि करीब एक किलो मछली में 30 फीसद तक लेड व आयरन के तत्व पाए जाते हैं। इतनी भारी मात्रा में लेड शरीर के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि अभी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसके बाद यदि किसी को मछली की बिक्री करते देखा गया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने समेत अन्य कार्रवाई होगी।