अझुवा में जन्मे राम व करारी में हुआ नारद का मोह छूटा
नगर पंचायत करारी में रविवार की रात बुंदेल खंड से आए कलाकारों ने नारद मोह की लीला का मंचन किया तो अझुवा में चित्रकूट के कलाकारों ने राम जन्म की लीला प्रस्तुत की। जिसे देखने के लिए क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित हो रहे हैं। रामलीला का मंचन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
जागरण टीम, कौशांबी : नगर पंचायत करारी में रविवार की रात बुंदेल खंड से आए कलाकारों ने नारद मोह की लीला का मंचन किया तो अझुवा में चित्रकूट के कलाकारों ने राम जन्म की लीला प्रस्तुत की। जिसे देखने के लिए क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित हो रहे हैं। रामलीला का मंचन लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
नगर पंचायत अझुवा कस्बे में चल रही रामलीला मंचन में रविवार की रात को राम जन्म की लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर महाराजा दशरथ को चौथे पन के आगमन और तीन रानियों के सुख के साथ पुत्र प्राप्ति हुई। मंचन में दिखाया गया। गुरु वशिष्ठ के कहने पर राजा दशरथ ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ किया। तब कौशल्या के गर्भ से भगवान राम ने जन्म लिया। राम के जन्म लेने के बाद अयोध्या वासी खुश हुए और वहां उत्सव मनाया गया। महिलाओं ने मंगल गीत भी गया। रामलीला के मंचन से कस्बे का माहौल भक्तिमय हो गया है।
इसी प्रकार करारी में नारद मोह की लीला का मंचन किया। नारद मुनि को अहंकार को नष्ट करने के लिए भगवान ने मायाजाल रचा शिव जी ये व्रत्तान्त किसी को बताने को मना करते है। फिर भी नारद मुनि विष्णु जी को बताते हुए विवाह करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहते हैं। जेहि विधि होहि नाथ हित मोरा, करौ सो बेग दास मैं तोरा। इस पर विष्णु ने नारद से कहा जो आपके हित में हो वही करूंगा। भगवान विष्णु श्रीनगर नाम की माया नगरी का निर्माण करते हैं। नगरी के राजा शीलनिधि की पुत्री विश्व मोहिनी पर नारद जी मोहित हो जाते है। राजकुमारी के स्वयंबर में शामिल होने के पहले विष्णु भगवान नारद जी के हित को देखते हुए उनको वानर मुखी बना देते है। स्वयंवर में विश्व मोहिनी नारद जी की ओर एक बार भी नहीं देखा और अन्य राजकुमार को वरमाला पहना देती है। नारद जी के रूप को देख कर हंसी उड़ाने वाले शिव जी के दो गणों व भगवान विष्णु को ऋषि नारद ने श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह में स्त्री के वियोग में जल रहा हूं। तुम भी स्त्री के लिए वन-वन भटकोगे भगवान विष्णु ने जब माया हटाई तो नारद को होश आया और वह दिए गए श्राप को लेकर काफी चितित हुए।