केसीसी बनाने में बैंक लगा रहे जबरन का रोड़ा, किसान कैसे करें अपनी आय दोगुनी
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना से तालाब निर्माण व प्रथम वर्ष निवेश के रूप में किसान की मदद होती है। इसके बाद भी किसान की तमाम जरूरतें होती हैं। इसके लिए धन की आवश्यकता होती है। लिहाजा किसानों को केसीसी बनवाकर बैंक से ऋण उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है लेकिन बैंक किसानों को ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं। एक साल में मात्र 22 किसानों को ऋण सुविधा दी गई है। जबकि तमाम किसानों को छोटे-छोटे कारण बताकर पत्रावली बैंक ने वापस कर दी है।
कौशांबी। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना से तालाब निर्माण व प्रथम वर्ष निवेश के रूप में किसान की मदद होती है। इसके बाद भी किसान की तमाम जरूरतें होती हैं। इसके लिए धन की आवश्यकता होती है। लिहाजा किसानों को केसीसी बनवाकर बैंक से ऋण उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है लेकिन बैंक किसानों को ऋण देने में आनाकानी कर रहे हैं। एक साल में मात्र 22 किसानों को ऋण सुविधा दी गई है। जबकि तमाम किसानों को छोटे-छोटे कारण बताकर पत्रावली बैंक ने वापस कर दी है।
जिले के किसान खेती के साथ ही मत्स्य पालन की ओर रुख रहे हैं। इसका परिणाम रहा कि बीते दस सालों में जिले में मछलियों के उत्पादन में 85 फीसद की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि से उत्साहित मत्स्य विभाग ने किसानों के लिए सुविधाओं का पिटारा खोला है। उनके लिए तालाब निर्माण के साथ ही विक्रय के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराता है। विभाग की योजनाएं एक निश्चित दायरे में हैं। ऐसे में उनको अपनी अन्य जरूरतों के लिए केसीसी बनवाने की सुविधा दी गई है। यह सुविधा जैसे फसल के लिए होती है, उसी प्रकार तालाब निर्माण से जुड़े किसानों के लिए दी जाती है लेकिन जिले के बैंक केसीसी बनाने में लापरवाही करते हैं। मत्स्य विभाग से पहली बार 184 व दूसरी बार में 55 किसानों की फाइल तीनों तहसील क्षेत्र के बैंकों में केसीसी के लिए भेजी लेकिन बैंक ने उनको मनमाने तरीके से कारण बताते हुए वापस कर दिया। 239 पत्रावली में मात्र 22 किसानों को ही साल भर में केसीसी सुविधा का लाभ दिया गया है। मत्स्य विकास अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि विभाग किसानों के कार्य को देखने के बाद पत्रावली तैयार करती है। बैंक विभाग से भेजे गए पत्रावली को छोटे-छोटे निरर्थक कारण बताकर पत्रावली वापस कर रहा है। जिससे किसानों को परेशानी हो रही है। केसीसी न बनाने के लिए बैंक के कारण
-तालाब में छाया की व्यवस्था नहीं है।
-तालाब तक जाने के लिए सड़क नहीं है।
-तालाब की गहराई कम प्रतीत हो रही है।
-तालाब में काई अधिक है। जिससे मछली मर सकती है हमारा कर्ज वापस नहीं मिलेगा।
-तालाब में किसान ने सिघाड़ा लगाया है।
-किसान को मत्स्य पालन का अनुभव नहीं है। बोले किसान
कोतारी पश्चिम निवासी किसान शिवलोचन का कहना है कि मत्स्य विभाग ने हमारी पत्रावली तैयार कर बैंक को भेजा है। बैंक को केसीसी बनाकर ऋण देना है लेकिन वह बैंक तालाब निर्माण व सुविधा को रोड़ा लगाकर पत्रावली वापस कर रहा है। बिदांव किसान कुलदीप सिंह कहते हैं कि मत्स्य पालन से जुड़ी जितनी जानकारी मत्स्य विभाग को है, उसकी आधी भी बैंक के पास नहीं है। इसके बाद भी वह बिना सिर पैर वाले आरोप लगाकर पत्रावली खारिज कर रहा है। इस ओर अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। चक थांभा निवासी लवकुश कुमार के मुताबिक हम सब की सबसे बड़ी मदद मत्स्य विभाग ने की है। बैंक से थोड़ी बहुत जरूरत के लिए ऋण लेना था। वह भी हमारे तालाब को बंधक बनाकर ऋण देता है। इसके बाद भी तरह-तरह के रोड़े लगाए जा रहे हैं। आलमपुर चायल निवासी उमेश कुमार कहते हैं कि हम ऋण के लिए अपने तालाब को बंधक बना रहे हैं। इसके बाद ऋण मिलना है। मत्स्य विभाग जांच के बाद ऋण पत्रावली तैयार करता है। फिर भी बैंक आनाकानी कर रहा, यह गलत है।