'अरमानों' के टुकड़े होते ही मुंह छिपा के चल दिए
29 अप्रैल को चौथे चरण में हुए मतदान के बाद 11 हजार 108 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटिका से रविवार को बाहर निकाला गया। चुनावी दंगल में जीत का दंभ भरने वाले तमाम ऐसे प्रत्याशी रहे जिनकी हार के बाद अरमान रखे रह गए और वह मुंह छिपाकर मतगणना स्थल से इस तरह चुपके से निकलते नजर आए जैसे उन्होंने सबकुछ खो दिया हो। हारे हुए प्रत्याशियों के समर्थकों क भी कुछ यही अंदाज रहा। बस फर्क सिर्फ इतना रहा कि जो झूठी तारीफ अब तक कर रहे थे वह अपने हारे हुए प्रत्याशी से खुद को बचाते रहे।
जासं, कौशांबी : 29 अप्रैल को चौथे चरण में हुए मतदान के बाद 11 हजार 108 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटिका से रविवार को बाहर निकाला गया। चुनावी दंगल में जीत का दंभ भरने वाले तमाम ऐसे प्रत्याशी रहे जिनकी हार के बाद अरमान रखे रह गए और वह मुंह छिपाकर मतगणना स्थल से इस तरह चुपके से निकलते नजर आए, जैसे उन्होंने सबकुछ खो दिया हो। हारे हुए प्रत्याशियों के समर्थकों क भी कुछ यही अंदाज रहा। बस फर्क सिर्फ इतना रहा कि जो झूठी तारीफ अब तक कर रहे थे, वह अपने हारे हुए प्रत्याशी से खुद को बचाते रहे।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत सदस्य व ग्राम प्रधान पदों के लिए जनपद में चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान कराया था। छिटपुट घटनाओं के बीच हुए चुनाव के बाद प्रशासनिक अफसरों ने राहत की सांस ली। अपनी-अपनी मेहनत की हकीकत जानने के लिए रविवार की सुबह से ही जनपद के आठ मतगणना स्थलों पर प्रत्याशी व उनके समर्थकों की भीड़ नजर आने लगी। मौके पर प्रशासनिक अफसर पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे तो प्रत्याशी के अलावा एजेंटों को छोड़ बाकी सभी को करीब पांच सौ मीटर दूर जाने के लिए अपील किया। अंदर पहुंचे प्रत्याशी व समर्थक हर पल मत पत्रों पर अपनी नजर गड़ाए रहे। कहीं गिनती गलत न हो जाए, इस पर गिद्ध सी नजर टिकाए खड़े प्रत्याशी बगल में खड़े अपने प्रतिद्वंदी प्रत्याशी को भी नहीं देख रहे थे। हर चक्र की मतगणना में कम व ज्यादा वोट पाने की स्थिति में आशंकित रहे। बढ़ते चक्र के बीच जीत व हार की घोषण होती रही। जो प्रत्याशी जीता, वह अपने समर्थकों के साथ झूम उठा और जिसे हार नसीब हुई वह चुपके से बाहर निकलते दिखाई दिए। गौर करने वाली बात तो यह रही कि मतगणना केंद्रों पर लगाए गए 172 टेबलों के पास खड़े प्रत्याशियों की जान तो सांसत में रही, लेकिन उनके समर्थक यानि एजेंट एक-दूसरे से जुगलबंदी करते नजर आए। वोट की संख्या बढ़ी तो चुनाव चिह्न का जुमला बनाकर टिप्पणी करते रहे। शाम तक चली मतगणना के बीच प्रत्याशियों व उनके समर्थकों की सांसें ऊपर-नीचे होती रहीं।