97 हजार विद्यार्थियों की यूनिफार्म सिलाई में जुटीं समूह की महिलाएं
राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है। ब्लाक क्षेत्र के विभिन्न गांवों में गठित समूह की महिलाएं यूनिफार्म सिलाई से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
कौशांबी : राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार की मुख्य धारा से जोड़ा जा रहा है। ब्लाक क्षेत्र के विभिन्न गांवों में गठित समूह की महिलाएं यूनिफार्म सिलाई से आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गांवो में संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बेसिक शिक्षा विभाग ने छात्रों के लिए यूनिफार्म सिलाई एवं वितरण का काम दिया गया है। इसके लिए जनपद की हजारों महिलाओं को रोजगार से जोड़ा गया। प्रशिक्षण प्राप्त सरस्वती स्वयं सहायता समूह चायल के हसिमपुर किनार गांव में यूनिफार्म सिलाई कर रही श्यामकली, अनुसुइया देवी, रुक्मिणी देवी, सुग्गी देवी, सुशीला देवी और कुसुम देवी आदि महिलाओं का कहना है कि स्वयं सहायता समूह से उन्हें ब्लाक से विभिन्न तरह के रोजगार के किए प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। मिशन से जुड़े विकास खंड नेवादा के एडीओ आइएसबी शिवभवन चौधरी ने बताया कि चायल तहसील क्षेत्र में गठित करीब पांच दर्जन समूह की महिलाओं को यूनिफार्म सिलाई के माध्यम से रोजगार दिया गया है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने जनपद के 1410 प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालयों में पढ़ रहे 97 हजार छात्र-छात्राओं को यूनिफार्म सिलाई का काम स्वयं सहायता समूह को दिया गया है।
एक दिन में तीन सौ का काम
सरस्वती समूह की अध्यक्ष श्यामकली ने बताया कि घर पर ही उन्हें सिलाई के लिए कपड़े मिल जाते हैं। एक महिला एक दिन में दो से तीन यूनिफार्म तैयार कर लेती हैं। शिक्षा विभाग से एक ड्रेस की सिलाई पर 90 से 110 मिलेंगे।
हर जरूरत हो रही पूरी
लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की रूबी और ऊषा देवी का कहना है कि पहले वह पैसों के लिए पति पर आश्रित रहती थीं। लेकिन अब वह ड्रेस की सिलाई का काम कर अपना खर्च निकाल कर हर जरूरत पूरा कर रही हैं।