स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बने 66 एमडीआर मरीज
अब सामान्य टीबी का इलाज कराना आसान है। बीमारी का शिकार होने के बाद यदि मरीज आठ माह तक बराबर दवा ले तो उसे बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता है लेकिन एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) की श्रेणी में आने के बाद मर्ज को ठीक करना चुनौती बन रहा है। ये मरीज बैक्टीरिया के जरिए दूसरे लोगों को बीमारी दे रहे हैं। जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग को जिले में इस वित्तीय वर्ष में 1798 मरीज मिले हैं। मिलने वाले मरीजों में से 66 मरीज एमडीआर की श्रेणी में चले गए हैं इन मरीजों से दूसरे व्यक्तियों को बीमारी का खतरा बना हुआ है।
कौशांबी : अब सामान्य टीबी का इलाज कराना आसान है। बीमारी का शिकार होने के बाद यदि मरीज आठ माह तक बराबर दवा ले तो उसे बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता है, लेकिन एमडीआर टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस) की श्रेणी में आने के बाद मर्ज को ठीक करना चुनौती बन रहा है। ये मरीज बैक्टीरिया के जरिए दूसरे लोगों को बीमारी दे रहे हैं। जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग को जिले में इस वित्तीय वर्ष में 1798 मरीज मिले हैं। मिलने वाले मरीजों में से 66 मरीज एमडीआर की श्रेणी में चले गए हैं, इन मरीजों से दूसरे व्यक्तियों को बीमारी का खतरा बना हुआ है।
राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी में टीबी जांच व निश्शुल्क इलाज का इंतजाम भी किया गया है। यदि टीबी का मरीज छह माह तक नियमित रूप से दवा लेता है तो वह स्वस्थ भी हो जाता है। यदि टीबी का रोगी बीच में एक दिन भी दवा लेना भूल जाता है तब भी खतरा बढ़ जाता है। रोगी को मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी हो सकती है। इस वित्तीय वर्ष में अभियान चला स्वास्थ्य विभाग ने 1798 टीबी से पीड़ित व्यक्तियों को खोजा। इलाज के बाद 905 रोगी ठीक हो गएं। दवा लेने में लापरवाही बरतने के कारण 66 मरीज एमडीआर श्रेणी में आ गएं। जो समाज के लिए घातक बने हुए हैं और अब वे दूसरे व्यक्तियों को बीमारी दे रहे हैं। इन मरीजों को ठीक करना स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती है। पांच मरीजों की हो चुकी है मौत
स्वास्थ्य विभाग के अभिलेखों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष में 71 एमडीआर के मरीज थे, जिनका इलाज भी चला, लेकिन कुछ लोगों ने दवा लेने में लापरवाही बरती है। जिसकी वजह से पांच लोगों की मौत हो गई है। अब भी 66 एमडीआर मरीज हैं, जिनका इलाज चल रहा है। नौ माह में होगा एमडीआर का इलाज
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एसके झां ने बताया कि पहले एमडीआर टीबी की छह दवाएं दो साल तक चलाई जाती हैं। अब बेडाक्विलिन सातवीं दवा जोड़ दी गई है। यह एक तरह की बैक्टीरियोसाइडल होती है, जो टीबी के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है। इस दवा को केवल शुरुआती पांच माह तक लेना होता है। जिसके बाद दवा के कोर्स की अवधि दो साल से घटकर नौ महीने ही रह जाएगा। कहा कि जिला अस्पताल में सभी दवा उपलब्ध है। मरीजों का चयन कर उनका इलाज कराया जा रहा है। कुछ मरीज बीच में दवा बंद कर देते हैं। इसकी वजह से समस्या हो रही है।