दोआबा के 50 हजार परिवारों को गोल्डेन कार्ड का इंतजार
कौशांबी प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना जिले में परवान नहीं चढ़ पा रही है। डेढ़ साल बीतन
कौशांबी : प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना जिले में परवान नहीं चढ़ पा रही है। डेढ़ साल बीतने के बाद योजना के तहत चिन्हित 45 फीसद परिवारों का गोल्डन कार्ड नहीं बन सका है। कार्ड के अभाव में करीब 50 हजार गरीब परिवारों को योजना के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। कई ऐसे लोग गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं लेकिन गोल्डेन कार्ड न होने उनका इलाज नहीं हो पा रहा है।
केंद्र की मोदी सरकार ने 25 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ किया था। इसके तहत वर्ष 2011 में हुई आर्थिक, सामाजिक जनगणना के आधार पर जिले के एक लाख 16 गरीब परिवारों को चिन्हित किया गया। योजना के तहत प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज करने की व्यवस्था दी गई है, किंतु स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों की अनदेखी की वजह से इस योजना को पलीता लगा रहा है। योजना के शुभारंभ होने के डेढ़ वर्ष बीतने के बाद 65,644 परिवारों के नाम ही गोल्डन कार्ड बनाए जा सके हैं। कार्ड के अभाव में सरकारी अस्पताल के चिकित्सक मरीजों को भर्ती करने से कतरा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि पात्रता सूची में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, चिकित्सक पहले उन्हें भर्ती कर इलाज करेंगे। इसके बाद गोल्डन कार्ड खुद जारी करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
गोल्डेन कार्ड न होने की वजह से सीएचसी सिराथू क्षेत्र के रूपनारायणपुर गोरियों गांव के हीरालाल व कल्लू पटेल का इलाज नहीं हो पा रहा है। राघवपुर गांव के देवकरन, बनवारी को भी गोल्डेन कार्ड का इंतजार है।
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गायब हो गए भेजे गए संदेश पत्र
-प्रधानमंत्री कार्यालय से आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र परिवारों को संदेश भेजा गया था। इसमें पात्र लाभार्थियों का कोड नंबर दिया गया था। इसी के आधार पर लाभार्थी को कार्ड बनाने में आसानी होगी। लेकिन संदेश पत्र को अधिकतर सीएचसी और पीएचसी से गायब कर दिया गया है। आशा बहू या फिर एएनएम के माध्यम से गांव-गांव वितरित नहीं कराया गया। जिसके चलते 50 हजार परिवारों को योजना का गोल्डन कार्ड नहीं मिला।
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प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले के दस अस्पतालों व 340 सहज जनसेवा केंद्रों में गोल्डेन कार्ड बनाए जा रहे हैं। नेटवर्क की वजह से समस्या आ रही है। कोई गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो जिला अस्पताल पहुंचे। वहां पर इलाज होगा ओर गोल्डेन कार्ड भी बनाया जाएगा।
-डॉ. पीएच चतुर्वेदी, सीएमओ