पर्यावरण संरक्षण के लिए रोपे गए 18 लाख पौधे
जीवन के लिए भोजन और पानी के साथ-साथ पर्यावरण की स्वच्छता भी जरूरी है। बिना स्वच्छ पर्यावरण के स्वस्थ रहने की कल्पना नहीं की जा सकती है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से वर्ष 2020 बेहतर रहा। लॉकडाउन भले ही लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हो लेकिन इस दौरान पर्यावरण स्वच्छ हुआ। गंगा यमुना का पानी बेहतर हुआ। जलीय जीवों के लिए भी यह किसी उपहार से कम नहीं रहा। इसके अलावा जिले में हरियाली लाने के लिए 14 विभागाध्यक्षों द्वारा पौधे भी लगाए गए हैं।
कौशांबी : जीवन के लिए भोजन और पानी के साथ-साथ पर्यावरण की स्वच्छता भी जरूरी है। बिना स्वच्छ पर्यावरण के स्वस्थ रहने की कल्पना नहीं की जा सकती है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से वर्ष 2020 बेहतर रहा। लॉकडाउन भले ही लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हो, लेकिन इस दौरान पर्यावरण स्वच्छ हुआ। गंगा यमुना का पानी बेहतर हुआ। जलीय जीवों के लिए भी यह किसी उपहार से कम नहीं रहा। इसके अलावा जिले में हरियाली लाने के लिए 14 विभागाध्यक्षों द्वारा पौधे भी लगाए गए हैं।
पर्यावरण संरक्षण को लेकर लगातार काम किया जा रहा है। वन विभाग बारिश के दौरान हर वर्ष पौधारोपण अभियान चलाता है। वर्ष 2020 में पांच जुलाई को जिला प्रशासन ने 14 विभागों के सहयोग से एक साल 18 लाख पौधों का रोपण कराया। इतना ही नहीं आम लोग भी इस अभियान से जुड़े। पराली पर्यावरण को प्रभावित करती है। इसको लेकर अभियान चलाया गया। जिले में जहां सैकड़ों की संख्या में किसान खेतों में पराली जलाते थे। वहीं इस संख्या में भी कमी आई। मात्र 28 लोग ही प्रकाश में आए जिन्होंने पराली जलाई थी। विभाग ने इनके खिलाफ कार्रवाई भी की है। गंगा यमुना के पानी कर रंग लॉकडाउन की बंदी में और स्वच्छ व निर्मल हुआ। करीब तीन माह की पूर्ण बंदी के दौरान वाहनों व ईंट भट्ठे बंद रहे। इसका भी प्रभाव पर्यावरण पर बेहतर पड़ा। कायाकल्प योजना से स्कूलों में अभियान चलाकर उनका सौंदर्यीकरण किया गया। जिसमें पौधारोपण अहम रहा। इसके अलावा सिचाई व लोक निर्माण विभाग ने नहरों व उसके आसपास की खाली भूमि पर पौधारोपण किया।