मनरेगा मजदूरों के फंसे 16.92 लाख, नहीं मनाई दीपावली
मनरेगा के तहत कराए गए कार्यो का भुगतान एक सप्ताह के भीतर करने का प्रावधान है लेकिन ऑनलाइन फीडिग न होने से व जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से पांच हजार से अधिक मजदूरों के खाते में धनराशि नहीं पहुंच पा रही है। दिहाड़ी का भुगतान लेने के लिए जॉबकार्ड धारक विकास खंड कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। इसकी शिकायत मजदूरों डीआरडीए के परियोजना निदेशक से की थी। इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
जासं, कौशांबी : मनरेगा के तहत कराए गए कार्यो का भुगतान एक सप्ताह के भीतर करने का प्रावधान है, लेकिन ऑनलाइन फीडिग न होने से व जिम्मेदारों की उदासीनता की वजह से पांच हजार से अधिक मजदूरों के खाते में धनराशि नहीं पहुंच पा रही है। दिहाड़ी का भुगतान लेने के लिए जॉबकार्ड धारक विकास खंड कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। इसकी शिकायत मजदूरों डीआरडीए के परियोजना निदेशक से की थी। इसके बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है।
मनरेगा में हो रही धांधली को रोकने के लिए सरकार ने सीधा मजदूरों के खाता में रुपये भेजने का फैसला लिया है। इसके लिए ग्राम पंचायत को मजदूरों के दिहाड़ी की फीडिग कराना होता है। मनरेगा के तहत कराए गए कार्य की फीडिग न कराने व शासन की उदासीनता के चलते जिले के 5047 मजदूरों की दिहाड़ी का भुगतान नहीं हुआ है। 16.92 लाख रुपये बकाया मजदूरी का भुगतान लेने के लिए मजदूर प्रधान व खंड विकास अधिकारी के कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं। जॉबकार्ड धारक हीरालाल, हरी प्रसाद, मेवालाल व मंगला प्रसाद का कहना है कि वह एक माह पूर्व काम किए थे। लेकिन मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया। दिहाड़ी का भुगतान न होने से दीपावली फीकी हो गई। साथ ही परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है। इस संबंध में डीआरडीए के परियोजना निदेशक का कहना है कि मजदूरों के हिहाड़ी की फीड़िग करा दी गई है। लखनऊ से रुपया ट्रांसफर नहीं किया गया है। इस संबंध में पत्राचार किया जा चुका है।