खुसरो को सम्मान देने में हिचक क्यों
मालखाने में बंद खुसरो की प्रतिमा स्थापित करने की मांग, हर ओर से उठ रही मांग, खुसरो की प्रतिमा स्थापित की जाए
बिलराम, संवाद सूत्र। मालखाने में रखी अमीर खुसरो की प्रतिमा के संबंध में अभी तक प्रशासन कोई फैसला नहीं ले सका है। जिले को पहचान देने वाली एक महान शख्सियत की प्रतिमा के लिए उनकी जन्मस्थली पर एक अदद स्थान न मिलना सवाल खड़े करता है। हर तरफ से आवाज समर्थन में उठ रही है।
साहित्यकार दोहा संग्रह प्रेम संदेश के लेखक अकरम वारसी ने अपने आवास पर कस्बा के आम लोगों को एकत्रित कर उनकी बैठक की और फिर खुसरो की प्रतिमा लगाए जाने की मांग पर चर्चा हुई। बैठक में लोगों ने माना कि प्रतिमा को न लगाया जाना ¨चता का विषय है। प्रतिमा लगनी चाहिए। खुसरो को सम्मान मिलना चाहिए। अमीर खुसरो के जीवन चरित्र और कार्यकलापों पर प्रकाश डालकर ¨हदी में उनके योगदान पर चर्चा की गई। बात जब प्रतिमा लगाए जाने की मांग पर हुई तो उपस्थित लोगों ने एक स्वर में कहा कि आखिर इसमें सोचने और समझने की बात क्या है। इस मामले में प्रशासन चुप्पी क्यों साधे है। जब प्रतिमा बनाई गई थी तो लगाने के लिए ही बनाई गई थी तो अब लगाने में गुरेज क्यों किया जा रहा है। अमीर खुसरो ने तो विश्व भर में देश का नाम रोशन किया। उनकी प्रतिमा लगे और ससम्मान लगे। साहित्यकारों को आमंत्रण कर बड़ा आयोजन किया जाए। इससे सौहार्द का संदेश जाएगा और जिले का मान बढ़ेगा। बैठक में मोहिउद्दीन सैफी, हसीन अहमद, मोसिन खान, तेहजीम बाबू अब्बासी, गुड्डू खान, नजररूउद्दीन, हैदर अली नासिर, राजुद्दीन जाकिर, वीरेंद्र कुमार, राजेश कुमार, दिवाकर ¨सह चौधरी आदि मौजूद रहे।
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सारी दुनिया में प्रेम का संदेश देने वाले कवि हसरत अमीर खुसरो को अपने ही घर में सम्मान न मिल पाना ¨चता का विषय है।
-साहिल
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जब प्रतिमा लगाने का कोई विरोध नहीं है तो फिर प्रतिमा लगाए जाने में हिचक क्यों की जा रही है।
-अजीत मियां, मास्टर