लहरें चीर हरिओम ने बचा लीं थीं दो किशोरियां
लहरा घाट हादसा बचने की छटपटाहट में चार अन्य किशोरियों ने जकड़ लिया था हरिओम को धारा के बहाव और पकड़ से खुद भी बह गया
सोरों (कासगंज), संवाद सूत्र। लहरा घाट पर रविवार सुबह जो हुआ देर शाम तक कोहराम मचाए रहा। हर कोई हरिओम की दिलेरी की तारीफ भी कर रहा था। हरिओम ने लहरें चीरते हुए एक-एक कर दो किशोरियों को तो बाहर सुरक्षित निकाल लिया था। मगर अन्य डूबती किशोरियों ने बचने की छटपटाहट में हरिओम को पकड़ लिया। चारों किशोरियों की पकड़ को हरिओम नहीं छुड़ा सका और खुद भी बह गया।
बघेला पुख्ता निवासी 18 वर्षीय हरिओम पुत्र झद्दू दिल्ली में मजदूरी करता था। चार दिन पहले ही वह घर आया था। रविवार सुबह वह गंगा नहाने घाट पर पहुंचा। जब उसने घाट पर चीख-पुकार सुनी तो दौड़ा-दौड़ा पहुंच गया। किशोरियों को डूबते देख उसने गंगा में छलांग लगा दी। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार, मंजू और रूबी को तो एक-एक कर वो किनारे तक ले आया। अन्य को बचाने के लिए फिर तैरने लगा। इसी बीच, एक किशोरी ने उसके कंधे पर आ गई। दूसरी ने भी उसे पकड़ लिया। बाकी की दोनों किशोरियों ने भी उसे पकड़ लिया। किशोरियों के पकड़ से जकड़ा हरिओम तैरने के लिए हाथ-पैर भी नहीं चला पा रहा था। देखते ही देखते चारों किशोरियों के साथ वह भी बह गया। सोमवार को जाना था दिल्ली
हरिओम के डूबने की खबर गांव पहुंची तो परिजन भी दौड़े-दौड़े यहां पर पहुंचे। परिजनों का कहना था कि बेटे को सोमवार को दिल्ली नौकरी पर जाना था, लेकिन यह हादसा हो गया। डेढ़ वर्ष पहले हुई शादी, पत्नी है गर्भवती
हरिओम की शादी डेढ़ वर्ष पहले ही छमाई का नगला निवासी गिरजा के साथ हुई थी। गर्भवती पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था। कबहुं गंगा नहान न जातौ, आजहीं न जान कैसे पहुंचो..
हरिओम के पिता झद्दू गंगा घाट पर पहुंचे तो नम आंखों के साथ कह उठे 'हमार हरिओमा तो कबहुं गंगा नहान नहीं आत। आज न जान कुदरत को का मंजूर हतौ, सुबह बिना बताए घर से निकल गयौ। बाद में गांव वालन ते पता चलौ कि बिटुआ गंगा में डूब गओ।'