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पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर सहेज लें तो धरा हो जाए विख्यात

कासगंज संवाद सहयोगी संत तुलसीदास जी की जन्म स्थली और राजा सोमदत्त सोलंकी की राजधानी रही सोरों हो या सूफी संत अमीर खुसरो की जन्मस्थली पटियाली।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 05:00 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 05:00 AM (IST)
पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर सहेज लें तो धरा हो जाए विख्यात
पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर सहेज लें तो धरा हो जाए विख्यात

कासगंज, संवाद सहयोगी: संत तुलसीदास जी की जन्म स्थली और राजा सोमदत्त सोलंकी की राजधानी रही सोरों हो या सूफी संत अमीर खुसरो की जन्मस्थली पटियाली। जिनका नाम दुनिया भर में चमक रहा है, उनके व्यक्तित्व और कृतत्व से जुड़े स्थल उपेक्षा के शिकार हैं। ऐसी धरोहरों का संरक्षण कर दिया जाए तो ये धरा विख्यात हो जाएगी। श्रद्धा के इस केंद्र पर पर्यटकों की आमद बढ़ जाएगी। सीताराम मंदिर

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सोरों का सीता-राम मंदिर लहरा मार्ग पर स्थित है। दक्षिण पंचाल के गोरखपुर काल की स्मृति का अवशेष है। एटा के गजेटियर में मंदिर के निर्माण का समय भुवनादित्य के पश्चात ही माना गया है। गार्डनर का मकबरा

कासगंज विकास खंड के गाव छावनी में स्काटलैंड से आए यूरोपियों ने यहा निवास किया था। गार्डनर परिवार ने हिंदी, उर्दू के शायर और कवि दिए। छावनी में खंडहर अवस्था में विशाल मकबरा है जो गार्डनर परिवार का स्मारक है। दरियावगंज झील

तहसील पटियाली में लगभग 0.500 वर्ग किलोमीटर में ये झील फैली है। यह एक गोखुर झील है जो गंगा नदी के मार्ग परिवर्तन के कारण बनी है। यहा विदेशी पक्षियों का भी आना होता है। रामछितौनी झील

यह झील गंजडुंडवारा क्षेत्र में लगभग 25 हेक्टेअर क्षेत्रफल में फैली है। पिछले साल वन विभाग के अस्तित्व में लाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन यह प्रस्ताव फाइलों में दफन है। रामछितौनी झील के बारे में बताया जाता है कि महíष बाल्मीकि की तपोस्थली है। नदरई का पुल

यह पुल झाल के पुल के नाम से विख्यात है। यह पुल ब्रिटिशकालीन है। इसकी लंबाई 346 मीटर, निर्वहन क्षमता 7.95 क्यूसेक है। शहर से पाच किलोमीटर दूर स्थित है। ऊपर हजारा नहर बहती है, बीच में चोर कोठरिया और नीचे काली नदी बह रही है। ये हैं पौराणिक स्थल

तुलसी गर्भ गृह,नरसिंह पाठशाला, महाप्रभु की बैठक

क्या कहते हैं जानकार

- तीर्थनगरी सोरों में प्राचीन धरोहरों का खजाना है, लेकिन यहां इनका संरक्षण नहीं हो पा रहा है। इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत दिखाई दे रही।

- डा. राधाकृष्ण दीक्षित, पुरातत्वविद -----------------

रामछितौनी, दरियावगंज झील हो या फिर सोरों और कासगंज के पौराणिक स्थल, इन सबका अलग अलग महत्व है, लेकिन अनदेखी से यह सभी स्थल अस्तित्व विहीन होने के कगार पर पहुंच रहे हैं।

- अमित तिवारी, इंजीनियर ----

कासगंज जिले की जो धरोहरें पुरातत्व सर्वेक्षण में सूचीबद्ध हैं, उनका समय-समय पर सर्वेक्षण किया जाता है। एटा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सब सर्किल खोले जाने की तैयारी है। वहां सब सर्किल कार्यालय खुलेगा तो कासगंज को और भी बेहतर संरक्षण मिलेगा।

- विजय कुमार, कार्यालय सहायक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा


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