सदर सीट पर नहीं लगा सका कोई प्रत्याशी हेट्रिक
कासगंज संवाद सहयोगी कासगंज विधानसभा से 1952 से लेकर 2017 तक 17 बार चुनाव हुए।

कासगंज, संवाद सहयोगी : कासगंज विधानसभा से 1952 से लेकर 2017 तक 17 बार चुनाव हुए। कई प्रत्याशी चार और पांच बार तक इस विधानसभा सीट से विधायक रहे। यह और बात है कि कोई भी प्रत्याशी यहां से हैट्रिक नहीं लगा सका। यह सीट सबसे अधिक बार कांग्रेस ने तो सबसे कम बार बसपा के खाते में गई। कासगंज विधानसभा सीट आजादी के बाद पहली बार हुए विधानसभा चुनावों के समय ही वर्ष 1952 में अस्तित्व में आई थी। इस दौरान तमाम दलों ने यहां से अपने उम्मीदवार उतारे।
1952 से लेकर 2017 तक कासगंज सदर सीट पर विधानसभा के चुनाव 17 बार हुए। प्रमुख दलों के अलावा अन्य दलों ने भी अपने प्रत्याशियों को उतारकर भाग्य अजमाया। 17 बार के इन चुनावों में मानपाल सिंह पांच बार चुनाव जीते, तीन बार वह कांग्रेस की टिकट से विधायक चुने गए। दो बार उन्होंने समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता। वह कांग्रेस और सपा सरकार में मंत्री भी रहे। पांच बार विधायक चुने जाने के बावजूद भी वह हेट्रिक नहीं बना सके। नेतराम सिंह वर्मा सदर चार बार विधायक रहे। उन्होंने 1969 में जनसंघ से यह सीट जीती। इसके बाद जनता पार्टी, भाजपा से दो बार विधायक रहे। चार बार विधायक चुने जाने के बावजूद भी नेतराम सिंह भी हेट्रिक नहीं बना सके। कासगंज विधानसभा सीट पर छह बार कांग्रेस, चार बार भाजपा विजयी हुई। दो बार सपा और एक बार यह सीट बसपा के खाते में गई। जनता पार्टी, जनसंघ और जनता दल ने भी एक-एक बार सदर सीट पर कब्जा किया।
Edited By Jagran