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'आत्मनिर्भर' स्टॉल पर 'अवसर' की राखियां

न कोई शोरूम जैसी चमक-दमक न ही काउंटर और न ही उन पर खड़

By JagranEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 09:46 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 06:04 AM (IST)
'आत्मनिर्भर' स्टॉल पर 'अवसर' की राखियां
'आत्मनिर्भर' स्टॉल पर 'अवसर' की राखियां

जागरण संवाददाता, कासगंज: न कोई शोरूम जैसी चमक-दमक, न ही काउंटर और न ही उन पर खड़े सेल्समैन। एक बंद दुकान के बाहर रखा तख्त, उस पर बिछा दी चादर। 'आत्मनिर्भर' के इसी स्टॉल पर स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने सजा दीं 'अवसर' की राखियां।

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मंगलवार को ये नजारा था सहावर गेट का। समूह की महिलाओं द्वारा तैयार राखी में दस रुपये से लेकर 35 रुपये तक की राखी थी। कई राखियों में तुलसी के मोती का प्रयोग किया है तो कुछ राखियों में नग का प्रयोग। स्टॉल पर रखी मोतियों की राखी भी बरबस ही ध्यान खींच रही थी। पहली बार राखी तैयार करने वाली महिलाओं में अपनी स्टॉल लगने की खुशी साफ दिखाई दे रही थी।

किसी के पति मजदूरी करते हैं तो किसी के पति फैक्ट्री में काम। स्वयंसहायता समूह से जुड़ी इन महिलाओं के पास अब तक कोई काम नहीं था, लेकिन लॉकडाउन ने इन्हें आपदा में अवसर मुहैया कराया है। शहर के चार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बीते पांच दिनों में सैकड़ों राखियां तैयार कर ली हैं। ओम साईंनाथ क्षेत्रीय स्तरीय समिति के सुनील कुमार के निर्देशन में मधुर, प्रीती, रामवती एवं अंजू सहित अन्य महिलाओं ने सहयोग किया। पीओ डूडा ने राखी खरीद किया शुभारंभ :

राखी की स्टॉल का शुभारंभ पीओ डूडा विद्याशंकर पाल व ईओ कासगंज लवकुश गुप्ता ने किया। पीओ डूडा ने महिलाओं का उत्साह बढ़ाते हुए अपने लिए विशेष तौर पर राखी छांटी। इनका भुगतान करते हुए कहा कि वह अपने स्तर पर भी लोगों को राखी खरीदने के लिए प्रेरित करेंगे। ईओ ने नगर पालिका परिसर में भी स्टॉल लगवाने का आश्वासन दिया।

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इन समूहों ने तैयार कीं राखी

-मधु स्वयं सहायता समूह।

-रानी अवंती बाई स्वयं सहायता

समूह।

-राम श्याम स्वयं सहायता समूह।

-तनिष्का स्वयं सहायता समूह।

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शहरवासी भी करें सहयोग :

स्वदेशी को तरजीह देने वाले हों या गरीबों की मदद करने वाले। उनके लिए भी एक मौका है शहर की महिलाओं को आगे बढ़ाने का। रक्षाबंधन पर राखी की खरीद स्वयंसेवी संस्था की महिलाओं से करके आप भी इन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद कर सकते हैं।

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'कक्षा छह तक पढ़े हैं। पहली बार समूह के माध्यम से काम किया है। उम्मीद है, इससे आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।'

-मधु 'पति बेकरी में काम करते हैं। लॉकडाउन में मास्क भी बनाए थे, तब 500 रुपये मिले थे। उम्मीद है अब आमदनी अच्छी होगी।'

-प्रीती


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