सेटेलाइट से खुलें नहरों के द्वार तो पानी भरे रफ्तार
कासगंज संवाद सहयोगी आधुनिकीकरण के इस दौर में नहरों के संचालन को भी हाईटेक किया जा रहा है लेकिन अभी तक यह सिस्टम जिले में प्रभावी नहीं हो सका है।
कासगंज, संवाद सहयोगी : आधुनिकीकरण के इस दौर में नहरों के संचालन को भी हाईटेक किया जा रहा है, लेकिन अभी तक यह सिस्टम जिले में प्रभावी नहीं हो सका है। सेटेलाइट सिस्टम लगाया जा चुका है। संभावना थी कि रवि फसल अभियान में यह व्यवस्था कारगर होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी भी नहरों का संचालन मैनुअल तरीके से हो रहा है। किसान एक बार फिर से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सेटेलाइट सिस्टम पर नहर संचालित हो जाएंगी तो समय रहते खेतों को पानी मिल सकेगा।
जिले के किसान सरकारी सिचाई व्यवस्था पर काफी हद तक आश्रित रहते हैं। एक बड़ा क्षेत्रफल फर्रुखाबाद ब्रांच की गोरहा नहर से जुड़ा हुआ है, लेकिन काफी लंबे समय से इस नहर से किसानों के खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। यहां तक की बंबा और माइनर भी सूखे पड़े हुए हैं। पिछले साल शासन स्तर पर एक ऐसी पहल हुई जिससे किसान उत्साहित हो गए। किसानों को लगा कि अब उनकी समस्या का समाधान आधुनिक तरीके से होगा, क्योंकि नहरों के संचालन की व्यवस्था हाईटेक कर दी गई। सेटेलाइट सिस्टम के माध्यम से नहरों का रोस्टर जोड़ दिया गया। लखनऊ में बैठे अफसर जब बटन दबाएंगे तभी नहरों में पानी आएगा, लेकिन यह सैटेलाइट सिस्टम प्रभावी नहीं हो पाया है। अभी तक नहरों में पानी नहीं आया है। इससे बंबा और माइनर को भी पानी नहीं मिल सका है। किसान सिर्फ यही उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यदि सेटेलाइट सिस्टम से नहरों का संचालन हो जाएगा तो पूरी सहूलियत मिल जाएगी। सेटेलाइट सिस्टम पर काम चल रहा है। जल्द ही सिस्टम प्रभावी हो जाएगा। फिर लखनऊ से ही नहरों के संचालन पर नजर रहेगी। पूरी व्यवस्था हाईटेक हो रही है।
- अरुण कुमार, अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग