'उठो देव, बैठो देव, पांवरिया चटकाओ देव..'
परंपरागत तरीके से देवोत्थान पर्व मनाया गया। शहर और कस्बों में घर घर पूजा करने के बाद देवताओं को उठाया गया।
कासगंज, जेएनएन। बुधवार को कार्तिक माह की एकादशी को देवोत्थान पर्व शहर और कस्बों में मनाया गया। 'घर-घर उठो देव, बैठो देव, पांवरिया चटकाव देव, क्वारों के ब्याह करो, ब्याहों के गौने..' के साथ देवताओं को जगाया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर बायना मंशा और बुजुर्गों देकर आशीर्वाद लिया।
देवोत्थान पर्व को लेकर लोगों में उत्साह मंगलवार शाम से ही दिखाई दे रहा था। बुधवार को सुबह गन्ना, सिघाड़े और शकरकंद खरीदने के लिए सब्जी मंडी, नदरई गेट, सहावर गेट एवं बाजारों में सजी दुकानों पर लोगों की भीड़ रही। घरों में भगवान को जगाया गया। घर के आंगन में चौक काढ़ कर गन्ने की चौकी बनाई गई। ऋतु की सब्जियों के साथ विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा की गई। महिलाओं ने उपवास रखा। पूजा अर्चना के बाद बायना मंशकर घर की बुजुर्ग महिलाओं को दिया और आशीर्वाद लिया। शहर के के अलावा कस्बा सोरों, अमांपुर, सहावर, गंजडुंडवार, पटियाली, दरियागवंज, मोहनपुर, अमांपुर, ढोलना, बिलराम में भी देवोत्थान पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया।
कहीं सुबह तो कहीं शाम को हुई पूजा
देवोत्थान पर्व पर शहर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कुछ परिवारों में सुबह भी और अधिकांश परिवारों में शाम को तारों की छांव में देवों को उठाया। महिलाओं और युवतियों ने खड़िया, गेरु और चावल के एपन से चित्र बनाए गए। जिन घरों में शाम को पूजा हुई उन घरों की महिलाओं ने पूरे दिन उपवास रखा। बच्चों ने शाम को आतिशबाजी की गई। साथ ही लोगों ने मंदिरों और घरों के बाहर दीपक भी जलाए गए।