'पापा कहां से लाओगे रुपये, मुझे नहीं करनी शादी'
पापा को दहेज के लिए रुपये जुटाते देख बेटी ने चूमा फांसी का फंदा जिस बेटी की खुशियों के लिए कर रहे थे व्यवस्था वो साथ छोड़ गई
कासगंज, जागरण संवाददाता। वो परिवार की लाड़ली बेटी थी। छोटे भाई-बहनों का ध्यान रखती। माता-पिता ने भी उसकी शादी में सब खुशियां देने की सोची। पक्की करने की तैयारी थी तो शादी में एक बाइक देने का सपना भी लेकिन दहेज की यह परंपरा बेटी को रास नहीं आई। अपनी खुशियों की खातिर मां-बाप पर बढ़ते बोझ को वो बर्दाश्त नहीं कर सकी तथा फांसी का फंदा चूम लिया।
घटना गांव म्यांसुर की है। गांव में रहने वाला एक परिवार दिल्ली में रहता है। पिता नौकरी करते हैं तो परिवार की बड़ी बेटी भी पढ़ लिख कर नौकरी कर रही थी। बीते दिनों परिवार के लोग उसकी शादी की बात करने के लिए गांव आए थे। यहां पर शादी की बात हुई। दहेज में एक बाइक देने की बात चली। बचपन से परिवार की स्थिति देख रही बेटी को यह नागवार गुजरा। उसने शनिवार रात फांसी लगा ली। युवती ने सुसाइड नोट में पिता से माफी मांगते हुए लिखा कि 'पापा.. लड़के वालों ने दहेज नहीं मांगा, लेकिन आप दे रहे हो। बचपन से मैने सपना देखा था कि बगैर दहेज के शादी करूंगी, लेकिन शायद यह नहीं हो पाएगा। आपने मुझे पढ़ाया-लिखाया। मैं यह शादी कर भी लूं, लेकिन इतना पैसा कहां से आएगा। आपे मेरे लिए इतना कुछ किया कि मैं शादी करके खुश रहीं, लेकिन इतना दहेज देकर शादी करोगे। यह मुझे मंजूर नहीं है। शादी की बात से बहुत खुश थी। बाइक एक लाख रुपये की आएगी, कहां से आएंगे।
घर बनाने का ख्वाब था बेटी का :
फांसी के फंदे पर झूली माता-पिता की लाड़ली का ख्वाब घर बनाने का था। उसने सुसाइड नोट में भी इसका जिक्र किया है। लिखा है मैने दिल्ली में नौकरी की। सोचा घर बनवाऊंगी, घर नहीं बनवा सकी। घर बनने के लिए पड़ा है। थोड़ा बहुत घर बनने वाला था, उसे तुड़वा नहीं सकती। वहीं पिता से निवेदन किया है कि मरने के बाद आप सब दिल्ली में ही रहना, गांव में नहीं। युवती के चार भाई और तीन बहनें हैं।
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'गांव में लड़की की मौत की खबर देर से मिली थी। पुलिस फोर्स मौके पर पहुंचा, लेकिन तब तक अंतिम संस्कार हो चुका था। परिजनों ने सुसाइड करने की बात कही है। बताया जाता है परिवार की स्थिति ठीक न होने पर भी बेटी की शादी में दहेज देने से वह तनाव में थी।'
गणेश चौहान
इंस्पेक्टर थाना सहावर