अधूरा रह गया भजन सम्राट का कासगंज से वायदा
-2005 में भजन संध्या में बोले थे विनोद अग्रवाल-फिर से आऊंगा कासगंज। लेकिन वे इस वादे को पूरा नहीं कर पाए। -कंहैयालाल
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-2005 में भजन संध्या में बोले थे विनोद अग्रवाल-फिर से आऊंगा कासगंज
-कंहैयालाल मैरिज होम में भजन संध्या में देर रात तक झूमे थे शहरवासी
जागरण संवाददाता, कासगंज : पांच जुलाई 2005। उस दिन भी मंगलवार था जब कासगंज की फिजां में भजन सम्राट विनोद अग्रवाल के भजन गूंजे थे। मंगलवार को निधन की खबर आने पर लोगों को कंहैयालाल मेरिज होम की वो शाम याद आ गई, जब 'करता है कंहैया, नाम मेरा हो रहा है.' तथा 'फूलों में बस रहे वृंदावन बिहारी..' की धुन ने देर रात तक भीड़ को बांधे रखा था।
कासगंज में उनका पहला कार्यक्रम था। सुबह से तेज बरसात हो रही थी, आयोजक परेशान थे। कार्यक्रम स्थल बदलने का मन बनाया, लेकिन दोपहर में तेज धूप निकली। मैदान में बिछी मेटी बदलवाई गई। रात नौ बजे कार्यक्रम शुरू हुआ। एटा के तत्कालीन जिलाधिकारी अनिल सागर एवं एसपी पीके श्रीवास्तव ने शुभारंभ किया। अध्यक्षता समाजसेवी रमेश यादव ने की। श्रोताओं की भीड़ देख विनोद अग्रवाल ने उस वक्त कहा था कासगंज-एटा की जनता ने बहुत प्यार दिया है। कभी सोचा भी न था इतने चाहने वाले यहां पर हैं। जब भी कासगंज के लोग बुलाएंगे तो जरूर आऊंगा। मगर उनका यह वायदा फिर पूरा न हो सका। भजन संध्या के बाद व्यापार मंडल ने प्रसाद बांटा। संयोजक अखिलेश अग्रवाल एवं सतीश गुप्ता थे। रात्रि प्रवास भी उन्होंने अखिलेश के घर पर किया। 2012 में फिर हुए थे बुलाने के प्रयास :
2012 में भजन सम्राट को फिर से बुलाने के प्रयास हुए। शहरवासी उनसे जाकर मिले, लेकिन उन्होंने 18 महीने तक वक्त न होने की बात कही। ऐसे में उन्हें फिर बुलाने का कार्यक्रम न बन सका। 2005 में होने वाले कार्यक्रम के लिए भी दो वर्ष पूर्व 2003 में वक्त लिया था। 'कासगंज में ही कई वर्ष पहले उन्हें सुनने का मौका मिला था। उनके भजनों में जादू था। उस वक्त उनसे मिलने का भी अवसर मिला।'
-मनोज पांडे
कारोबारी 'उस दिन शहर में पहली बार उन्हें सुना था, उनकी आवाज ने ऐसा जादू किया। उसके बाद से टीवी पर उनके कार्यक्रम जरूर देखता हूं।'
-अनिल अग्रवाल
सराफा कारोबारी