बैंकों की फाइलों में दफन हो रहे रोजगार के सपने
बेरोजगारों को रोजगार की धारा से जोड़ने के लिए सरकार बैंकों के
संवाद सहयोगी, कासगंज : बेरोजगारों को रोजगार की धारा से जोड़ने के लिए सरकार बैंकों के माध्यम से तमाम योजनाएं संचालित कर रही है। जिनमें बैंकों द्वारा ऋण देकर पात्र बेरोजगारों को आत्म निर्भर बनाए जाने का प्रावधान है, लेकिन बैंक ऋण न देकर इन योजनाओं पर पलीता लगा रही हैं।
केंद्र और प्रदेश सरकार शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगारों को आत्म निर्भर बनाने के लिए तमाम विभागों के माध्यम से योजनाएं संचालित कर रही हैं। जिनमें प्रमुखत: उद्योग केंद्र, समाज कल्याण विभाग, दिव्यांग कल्याण विभाग, मत्स्य पालन विभाग, डूडा विभाग, ग्रामोद्योग विभाग हैं। इसके अलावा किसानों के लिए भी कृषि संबंधी ऋण की योजनाएं हैं। इनके माध्यम से योजनाओं का लाभ लेने के लिए पात्रों को ऋण की आवश्यकता होती है। विभाग तो पात्रों की फाइलें तैयार कर बैंकों में भेज देते हैं, लेकिन बैंक ऋण स्वीकृत करने में आना-कानी करती हैं। पात्रों को लगातार बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। बाद में थक हार कर आवेदनकर्ता पात्र अपने घर बैठ जाता है। कुछ शिकायतें प्रशासन तक पहुंचती हैं। सख्ती की जाती है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहता है।
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डूडा विभाग से दो लाख स्वरोजगार लोन के लिए फाइल तैयार कराई गयीं। केनरा बैंक में फाइल पहुंची। मैनेजर से मिलकर कई बार बातचीत की गई, लेकिन मैनेजर बात करने को ही तैयार नहीं है। लगातार चक्कर काटने के बाद थक हारकर घर बैठ गया हूं। - यादराम सिंह, निवासी कासगंज
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तीन वर्ष से केसीसी लोन के लिए ओरियंटल बैंक कासगंज में चक्कर लगा रहे हैं। फाइलों में कमियां बताई जा रही हैं, लेकिन लंबी अवधि व्यतीत होने जाने के बाद भी बैंक के अधिकारी ऋण देने को तैयार नहीं है। बड़े अधिकारी के पास पहुंच नहीं पा रहे हैं। - अमर सिंह किसान, बढ़ारी खुर्द
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टारगेट के अनुसार सभी पात्रों को संबंधित बैंकें ऋण उपलब्ध करा रही हैं। कहीं कोई ऐसा पात्र रह गया होगा, जो टारगेट पूरा होने के बाद बैंक पहुंचा और उसका ऋण स्वीकृत न हुआ हो अधिकांशत: हमारा प्रयास है कि सभी पात्रों को ऋण मिले।
- महेश प्रकाश, लीड बैंक प्रबंधक