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रिश्तेदारों के कफन में दफन हुई ममता

जासं, गंजडुंडवारा: बाबूराम और रामपाल गरीबी की जिंदगी जी रहे है। बालकों के शव आए तो अंतिम संस्कार के

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 12:10 AM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 12:10 AM (IST)
रिश्तेदारों के कफन में दफन हुई ममता
रिश्तेदारों के कफन में दफन हुई ममता

जासं, गंजडुंडवारा: बाबूराम और रामपाल गरीबी की जिंदगी जी रहे है। बालकों के शव आए तो अंतिम संस्कार के लिए इनकी गरीबी साफ नजर आई। रिश्तेदारों द्वारा मंगाए गए कफन में मां की ममता दफनाई गई। एक ही खेत पर दोनों भाई दफनाए गए तो लोगों की जुबां पर गरीबी की भी चर्चा थी।

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रामपाल और बाबूराम प्रजापति है। रामपाल तो सिलाई मशीन से कपड़े तैयार कर अपने परिवार का भरण पोषण करता है, बाबूराम तो उससे भी गया बीता है। वह ईट- भट्टे पर मजदूरी कर किसी तरह दोजून की रोटी जुटा रहा है। एक झोपड़ी में जीवन यापन कर रहा बाबूराम अपने लाड़लों को बेहद प्यार करता है। ये गरीबी ही थी कि अंतिम संस्कार के लिए बाबूराम के रिश्तेदारों ने इन बालकों के लिए कफन मंगाए और इन्ही कफन के माध्यम से बालकों के शव एक ही खेत पर दफनाए गए।


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