प्रवासी कामगार बनेंगे डगमगाते उद्योगों के तारणहार
प्रवासी कामगार बनेंगे डगमगाते उद्योगों के तारणहार
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: कोरोना संकट के चलते कमाने की लालसा में घर बार छोड़ परदेश गए युवा अपनी देहरी पर फिर लौट रहे हैं, वहीं जो बाहर से यहां आए थे वह वापस हो गए हैं। इन हालातों में दोहरा संकट खड़ा हो गया। एक तरफ घर लौटे कामगारों के पास काम नहीं है, तो दूसरी तरफ कुशल कारीगरों के चले जाने के बाद उद्योग पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहे हैं। इस दोहरी समस्या का हल तलाशने के लिए उद्यमियों ने कोशिशें तेज कर दी हैं। बाहर से आए प्रवासी उनके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। ऐसे में आवेदन लेकर उन्हें काम देने की तैयारी की जा रही है।
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अभी सौ से अधिक इंडस्ट्रीज चालू हैं। तीन शिफ्टों में काम होने से मजदूरों की दिक्कत नहीं आ रही है। ट्रेंड कारीगरों की समस्या होगी तो बाहर से लौटे कामगारों को काम समझाकर रोजगार दिया जाएगा।
-आलोक जैन, आइआइए चेयरमैन मशीन चलाने वाले कुशल कामगारों की भरपाई बाहर से आए प्रवासी पूरी करेंगे। कोशिश है कि उन्हें यहीं काम मिले। हमारे 50 श्रमिक बाहर गए हैं जो पल्लेदार हैं। इस वजह से ज्यादा दिक्कत नहीं है।
-मिथिलेश गुप्ता, मैदा मिल संचालक ऐसे कामगार जो गुजरात और मुंबई से आए हैं और रिफाइन फैक्ट्रियों में मशीन चला चुके हैं उन्हें मौका देंगे। वह काम कम समझते हैं तो सिखाएंगे भी। इससे उद्यमियों संग मजदूरों को भी फायदा होगा।
-विजय गुप्ता, रिफाइन फैक्ट्री संचालक
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क्या कहते हैं अधिकारी
कितने कामगार बाहर से आए हैं उनकी गणना हो रही है। जिन लोगों को काम चाहिए या जो विशेष काम में दक्ष हैं उनसे आवेदन लिए जाने हैं। साथ ही सरकारी योजनाओं में भी प्रवासी कामगारों को शामिल किया जाना है। फैक्ट्रियों की जरूरत के अनुसार भी उन्हें काम उपलब्ध कराया जाएगा।
-चंद्रभान सिंह, उपायुक्त उद्योग केंद्र