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18 साल से पुलिस की 'कैद' में श्रीकृष्ण

द्वापर युग में तो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार से

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 11:46 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:06 AM (IST)
18 साल से पुलिस की 'कैद' में श्रीकृष्ण
18 साल से पुलिस की 'कैद' में श्रीकृष्ण

चारुतोष जायसवाल, कानपुर देहात

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द्वापर युग में तो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार से उन्हें मुक्ति मिल गई, लेकिन जनपद के शिवली थाने के मालखाने में 18 वर्षों से 'कैद' राधा-कृष्ण व बलराम को आजादी नहीं मिल सकी। जिनके उपदेशों पर लिखी गीता की अदालतों में कसमें खाई जाती है, वे स्वयं अपनी मुक्ति के लिए कचहरी के दांवपेच फंस गए है, दूसरी ओर उनका मंदिर अपने आराध्य के बिना सूना पड़ा है। मामला शिवली के प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर से चोरी मूर्तियों का है, जो अबतक पुलिस की गवाही न होने के कारण मालखाने में ही रखीं हैं।

12 मार्च 2002 को बलराम, श्रीकृष्ण व राधा की तीन बड़ी व दो छोटी अष्टधातु की मूर्तियां मंदिर से चोरी हो गई थीं। घटना की रिपोर्ट मंदिर के सर्वराकर आलोक दत्त ने कोतवाली में दर्ज कराई थी। वारदात के सातवें दिन पुलिस ने चोरों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और बरामद मूर्तियों को कोतवाली के मालखाने में रखवा दिया गया था। चोरों को तो जमानत मिल गई, लेकिन भगवान की मूर्तियों को मालखाने से छुटकारा नहीं मिला।

शिवली कोतवाल वीरपाल सिंह तोमर ने बताया कि कानूनी पेच के चलते मंदिर में मूर्तियों को स्थापित नहीं किया जा सका है। पुलिस कर्मियों द्वारा प्रतिवर्ष जन्माष्टमी पर मूर्तियों को मालखाने से निकलवा कर नहला धुलाकर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

-------------- मूर्तियों की करोड़ों में है कीमत

चोरी के समय कानपुर के एक ज्वैलर्स ने मूर्तियों की कीमत 3.70 करोड़ रुपये आंकी थी। मौजूदा समय में इसकी कीमत 10 करोड़ रुपये से ऊपर होगी।

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200 वर्ष पुराना है मंदिर

सर्वराकार आलोक दत्त ने बताया कि मंदिर 200 वर्ष पुराना है। यहां आसपास के लोग पूजा पाठ करने आते थे। उनके परिवार के चौबे सुधारीलाल ने इसे बनवाया था और उस समय जमींदारी थी। यह मूर्तियां कहां से लाई गई थी, इसका कुछ नहीं पता है।

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थाने में मनाई गई जन्माष्टमी

शिवली थाने में मंगलवार को जन्माष्टमी मनाई गई। मूर्तियों को मालखाने से निकाला गया, जिसके बाद भगवान को नहला धुलाकर पुलिस कर्मियों ने रेशमी वस्त्र पहनाया। रात 12 बजे पूरे विधिविधान से पूजा की गई, जिसके बाद पुलिस कर्मियों ने प्रसाद बांटा।

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इस कारण फंसा है मामला

मूर्तियां चोरी होने का मुकदमा कानपुर कोर्ट में चल रहा है। मामले में वादी की गवाही हो चुकी, लेकिन पुलिस कर्मियों की गवाही इतने वर्षाें बाद भी नहीं हो सकी है। इसके बाद ही कोर्ट के आदेश से मूर्तियों के मंदिर में जाने के आसार है।


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