बाढ़ में बहकर आई बीमारियों की दहशत, लोग परेशान
पानी घटने पर गांव से निकले लोग कुछ रास्ते अब भी जलमग्न
संवाद सूत्र, मूसानगर : एक सप्ताह से बाढ़ की विकरालता ने तटवर्ती गांवों के लोगों में दहशत भर दी। लोग घर बार छोड़ने को मजबूर हो गए, घर छोड़ा, गृहस्थी नष्ट हो गई। अब बाढ़ तो नीचे उतर रही है, लेकिन समस्याएं तेजी के साथ और ऊपर चढ़ती दिख रही हैं। हालात किसानों के अनुकूल नहीं हैं। फसलें नष्ट हो चुकी हैं, बाढ़ से बह कर आए मृत मवेशी से लेकर अन्य कचड़ा अब सड़ रहा है। लोगों में अभी से डर है कि कहीं संक्रामक बीमारी न चपेट में ले लें। वैसे प्रशासन की ओर से इसको लेकर पहले से ही अलर्ट जारी किया गया है, टीमें लगाई गई हैं।
अब बाढ़ का पानी निरंतर घट रहा है। दो जनपदों को जोड़ने वाली सड़क व ग्राम मुसरिया तथा ग्राम चपरघटा को गई सड़कों से पानी पूरी तरह से साफ हो चुका है। ग्राम नयापुरवा ग्राम नगीना वह आढ़न पथार तथा पड़ाव को गई सड़कों पर पानी अभी भरा हैं। कहीं नावें चल रहीं हैं तो कहीं लोग पानी से गुजर कर निकल रहे हैं। बाढ़ का पानी रविवार को भी कम हुआ है। पानी के उतरने से मूसानगर से जनपद हमीरपुर मनकी पुल मार्ग पानी से पूरी तरह खाली हो गया है। इसी प्रकार ग्राम चपरघटा स्थित पुराने पुल से पानी हट गया है। अब यहां सड़क के रास्ते आवागमन हो रहा है। चपरघटा से ग्राम मुसरिया को गई सड़क खाली हो गई है। अब ग्रामीण पैदल आ जा रहें हैं। इसके बावजूद आढ़न पथार, पड़ाव नयापुरवा को गई सड़कों पर पानी भरा हुआ है। आढ़न पथार, पड़ाव मार्ग पर नावों से आना-जाना हो रहा है। नगीना मार्ग पर दो फिट तक पानी है। यहां लोग पैदल आ जा रहें हैं। बर्बाद हुई फसलें देख किसानों की आंखें हो रहीं नम
मूसानगर : बाढ़ ने मेहनत व लागत से तैयार की फसलें भी चौपट कर दी है। अब अन्न की जुगाड़ ग्रामीणों के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। फूलमती, सिया दुलारी, केतकली, नगीना से पानी में होकर निकली तो बोलीं की हे पिपर देव महाराज अब जमना में बाढ़ न आवे आज 10 दिन के बाद मूसानगर बाजार जाने का मौका मिला है। गांव में जिदगी कैद होकर रह गई थी। बाढ़ से सब कुछ स्वाह हो गया है। यही देव स्थान के पास जो नाला है यही सबसे पहले पानी भरता है। आगे ग्राम मुसरिया की राजाबेटी पत्नी स्वर्गीय रामकिशन अपने खेत पर बाढ़ में बर्बाद हुई ज्वार व बाजरा की फसल को एकदम देखे जा रही थी। रह रह कर आंखें नम हो जाती तो वह साड़ी के पल्लू ने आंखें पोछ लेतीं। बोलीं, तीन बीघा खेत की ज्वार-बाजरा की फसल बाढ़ में बर्बाद हो गई है। परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा अब इसकी चिता सता रही है। दो पुत्र व दो पुत्रियां हैं। उन्हें निवाले की व्यवस्था तक करना मुश्किल लग रहा है। लेखपाल मलखान सिंह ने बताया कि बाढ़ का पानी लगातार कम हो रहा है।