आजादी की पहली सुबह मंदिरों में प्रसाद चढ़ाकर जमकर नाचे थे लोग
जागरण संवाददाता कानपुर देहात वर्षो की लड़ाई के बाद जब गुलामी की जंजीरें टूटी तो खुश्
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : वर्षो की लड़ाई के बाद जब गुलामी की जंजीरें टूटी तो खुशी का परवान न था। आजादी की पहली सुबह हर तरफ हर्ष उल्लास व त्योहार जैसा नजारा था। मंदिरों में सभी ने प्रसाद चढ़ाया और जमकर नाचे थे। सभी खुश व मगन थे कि अब स्वराज्य का सपना पूरा हुआ। यह बातें आजादी के गवाह रहे बुजुर्गो ने बताई। आज भी वह उस दिन को याद करते हैं तो मन बच्चे की तरह खुश हो उठता है।
रसूलाबाद के बड़ागांव कहिजरी निवासी सेवानिवृत्त 86 वर्षीय राम कुमार दीक्षित से जब देश की आजादी के समय के माहौल की बात की तो उनका कहना था कि सभी के चेहरे पर खुशी थी और घरों में दीपावली का नजारा था। सभी ने दीप जलाए और मंदिर जाकर प्रसाद चढ़ाया। उन्हें एक बात की टीस है और कहते हैं कि बलिदानियों के कारण हमें जो अवसर मिला था उसका आज आम आदमी लाभ नहीं उठा पा रहा है। नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को भुला दिया है। जिससे कष्ट होता है।
संदलपुर ब्लाक के सदना गांव निवासी 95 वर्षीय शिवराम कहते हैं कि देश की आजादी की खबर मिलते ही पूरे गांव ने नदी किनारे स्थित काली देवी के मंदिर पर प्रसाद चढ़ाया था। इसके बाद नीली कोठी पहुंच गए और मिठाई बांटने के बाद जमकर नाचे थे। गांव-गांव घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए गए। ऐसा लगा कि आज सबसे बड़ा त्योहार हो। आजादी के बाद भी देश में जाति व धर्म के लिए झगड़े नहीं थे। अब तो देश में सत्ता के लिए तरह-तरह के हथकंडे नेता अपना रहे हैं। लोगों को वोट के लिए बांटना यह अच्छा नहीं लगता।