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रामलीला का मंचन देख उससे सीखने की जरूरत

संवाद सहयोगी झींझक रामचरित मानस हमें कुछ पाने के लिए झगड़ना नहीं बल्कि त्यागने की सी

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 05:25 PM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 05:25 PM (IST)
रामलीला का मंचन देख उससे सीखने की जरूरत
रामलीला का मंचन देख उससे सीखने की जरूरत

संवाद सहयोगी, झींझक : रामचरित मानस हमें कुछ पाने के लिए झगड़ना नहीं बल्कि त्यागने की सीख देती है। रामलीला का मंचन देखने से हमें इसमें मौजूद अच्छी बातों को सीखकर अपने जीवन में उतारने चाहिए। यह बातें एसपी केशव कुमार चौधरी ने मंगलपुर में आयोजित रामलीला में कही।

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उन्होंने भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व सीता जी की आरती कर शुभारंभ करते हुए कहा कि कि जब भगवान राम को वनवास जाने की आज्ञा उनके पिता ने दी तो भरत ने भगवान राम से कहा कि आप सभी भाइयों में बड़े है और आप ही राजा बन जाए। भगवान राम ने पिता का बचन रखने के लिए 14 वर्ष का वनवास चुना और वन चले गए। उन्होंने कहा कि रामलीला का मंचन देख उससे सीखने की जरूरत है उसमें बताए रास्ते पर चलकर युवा पीढ़ी एक अच्छे समाज का निर्माण कर सकती है। रामलीला में बताए आदर्शों को जीवन में ढाले। भाजपा जिलाध्यक्ष अविनाश सिंह ने कहा कि हमारे देश के युवाओं में पश्चिमी सभ्यता हावी हो रही है हमें चाहिए कि रामलीला मंचन देख भगवान राम के बताए रास्ते पर चल एक अच्छे समाज का निर्माण करें। कार्यक्रम में ब्लाक प्रमुख प्रतिनिध झींझक विपिन कुमार शर्मा ने कहा रामलीला के सभी पात्रों से सीखने की जरूरत है भगवान राम ने पुत्र के रूप में पिता के वचन के लिए राज्य त्याग दिया था और वन चले गए थे बाद में रंग मंच के माध्यम से कलाकारों ने रामकेवट संवाद की लीला का मंचन किया जिसे देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे। इस दौरान सतीश शुक्ला ,अंशू त्रिपाठी, राकेश तिवारी, सतपाल पाल, बबलू कटियार, आयोजक सुनील भदौरिया, अनिल भदौरिया व संतोष प्रताप सिंह मौजूद रहे।


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