नाथ शंभु धनु भंजनिहारा हुईहै कोऊ इकदास तुम्हारा..
जागरण संवाददाता कानपुर देहात धनुष टूटने की गर्जना सुन परशुराम सीता स्वयंवर में आ गए औ
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : धनुष टूटने की गर्जना सुन परशुराम सीता स्वयंवर में आ गए और धनुष टूटे जाने का विरोध जताने लगे। लक्ष्मण व परशुराम के बीच संवाद हुआ। वहीं परशुराम के क्रोध को देख राम ने अपराधी मैं नाथ तुम्हारा कहकर लक्ष्मण के प्राणों की भीख मांगी। बाद में परशुराम ने खीचहुं चाप मिटै संदेहू..कहकर राम लक्ष्मण को अपने गले लगा लिया।
अकबरपुर के माती रोड अंबेडकर नगर में श्रीकामदगिरि सेवा समिति के तत्वावधान में धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें रावण-वाणासुर संवाद व जनक विलाप को दर्शकों ने जमकर सराहा। धनुष टूटता न देख जनक व्याकुल हो गए उन्होंने भूमि वीरों से खाली होने की घोषणा कर दी जिस पर लक्ष्मण ने रोष जताया। बाद में विश्वामित्र ने राम को धनुष तोड़ने की आज्ञा दी। पलभर में राम ने धनुष को दो खंडों में विभाजित कर दिया। धनुष टूटने की गर्जना सुन परशुराम भी आ गए और उन्होंने धनुष तोड़ने वाले को सामने न लाने पर सब राजाओं को मारने की घोषणा कर दी। इस पर लक्ष्मण व परशुराम के बीच जमकर शब्दों के बाण चले। आक्रोश में आकर परशुराम लक्ष्मण पर फरसा लेकर दौड़े तो राम ने परशुराम से हाथ जोड़कर लक्ष्मण के प्राणों की भीख मांगते हुए क्षमा करने और खुद को अपराधी होने की बात कही। परशुराम ने भातृत्व प्रेम देखकर जीवनदान दे दिया और गले लगा लिया। इस दौरान समिति के रणविजय सिंह, राजू तिवारी, सुशील तिवारी, सूर्य प्रकाश, विनोद त्रिवेदी, रामजी पांडेय, आदेश यादव, अनिल शुक्ला, सनद शुक्ला मौजूद रहे।