एक लाख से अधिक आवारा मवेशी बने खतरा
जागण संवाददाता, कानपुर देहात: आवारा गोवंश की पूरी फौज है। इनकी संख्या एक लाख से अधिक ह
जागण संवाददाता, कानपुर देहात: आवारा गोवंश की पूरी फौज है। इनकी संख्या एक लाख से अधिक होने का अनुमान है। खेत में तैयार हो रही रबी की फसल इनका निवाला बना रही है। गुस्से से भरे किसान फसल बचाने को सरकारी इमारतों व स्कूल परिसर में इन्हें बंद कर रहे हैं।
गांवों से लेकर नगरीय क्षेत्र में ये आवारा गोवंश अब परेशानी की बड़ी वजह बन रहे हैं। रात के अंधेरे में अचानक सड़क पर आयाझुंड दुर्घटना की वजह बनता है। वहीं खेत में मेहनत से लागत लगाकर तैयार की गई फसल आवारा गोवंश का निवाला बनती हैं। इससे छोटे व मध्यम किसान बेहद ¨चतित हैं। फसल बर्बाद को लेकर किसानों में जो गुस्सा है वह सरकारी भवनों व स्कूलों में मवेशी बंद करने के तौर पर सामने आ रहा है। पशुपालन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में लगभग 4 लाख से अधिक महिषवंशीय पशु हैं। आवारा मवेशियों में इनकी संख्या बेहद कम है। जबकि तीन लाख से अधिक गोवंशीय पशुओं में आवारा मवेशी एकलाख से अधिक होने का अनुमान है। आवारा मवेशियों से पेश आ रही दिक्कतों के समाधान के लिए ब्लाकवार पशु आश्रय स्थल बनाने का निर्देश दिया गया है। भूमि चिह्नीकरण किया गया है। पशु आश्रय स्थल बनने से जल्द समस्या का समाधान होगा।
राकेश कुमार ¨सह, डीएम कानपुर देहात इसके जिम्मेदार भी हम
आवारा गोवंश की समस्या यूं की नहीं बढ़ी है। इसके लिए पालक जिम्मेदार है। ऐसे भी पशुपालक हैं जिनकी गाय खेत में चरने के बाद घर पहुंच जाती हैं। दूध दुहकर गाय को यूं ही छोड़ देते हैं। ये गायें छुट्टा घूमती रहती हैं। ट्रैक्टर आदि से जोताई होने पर अन्य गोवंश जो अब कृषि कार्य के उपयुक्त नहीं रह गए हैं ऐसे मवेशियों का झुंड लगातार बढ़ता जा रहा है। चारा भी उगाना होगा
आवारा मवेशियों को खदेड़ने पर से समस्या से छुटकारा नहीं मिलेगा। किसानों को मवेशियों के लिए भी चारा उगाना होगा। चारे की कमी रहने पर मवेशी फसलों को निवाला बनाएंगे। इसका असर सीधे फसलोत्पादन पर पड़ेगा।