श्रीराम की कृपा के बिना जीवन नहीं होगा धन्य
संवाद सूत्र मुंगीसापुर कस्बे के ब्रह्मनगर में भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य आनंदशरण र
संवाद सूत्र, मुंगीसापुर : कस्बे के ब्रह्मनगर में भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य आनंदशरण रामायणी ने सती मोह प्रसंग सुनाकर श्रोताओं का मार्गदर्शन किया। भजन जग में सुंदर हैं दो नाम चाहे कृष्ण कहो चाहे राम..पर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।
उन्होंने कहा कि जिन पर श्रीराम की कृपा होती है उन्हें कोई संसार का दुख छू नहीं सकता। कथावाचक ने बताया कि देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवताओं को बुलाया गया था, लेकिन उस यज्ञ में उन्होंने अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं बुलाया। जब सती को इस बात का पता चला तो वह बिना बुलाए अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गईं, जिससे उन्हें अपमानित होना पड़ा। दुखी होकर सती ने यज्ञकुंड में अपने प्राणों की आहुति दे दी। जब भगवान शंकर को इस बात का पता चला तो वह क्रोधित हो गए और सती के मृत शरीर को लेकर कई दिनों तक भटकते रहे। इस दौरान देवी सती के अंग जिन स्थानों पर गिरे वह शक्ति पीठों के नाम से जाने जाते हैं। कथा में भगवान शंकर की झांकियां भी दिखाई गईं। इस दौरान गुड्डू शुक्ला, राम शंकर राठौर, कल्लू चौबे, सुरेश कुशवाहा, अनिल कुशवाहा, अनमोल तिवारी, रामकेश, सत्यनारायण कटियार उपस्थित रहे।