स्टाफ रहता नहीं तो अस्पताल को किसानों ने बना लिया डंप हाउस
संवाद सहयोगी सिकंदरा सलेमपुर न्यू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जिम्मे यमुना बीहड़ पट्टी के गा
संवाद सहयोगी, सिकंदरा : सलेमपुर न्यू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जिम्मे यमुना बीहड़ पट्टी के गांवों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है, लेकिन यह उनके काम नहीं आ रहा है। यह अस्पताल किसानों का डंप हाउस बन गया है क्योंकि यहां पर कोई स्टाफ रहता नहीं और हमेशा ताला लगा रहता है। इस पर किसान यहां अपना गेहूं चावल रखते हैं साथ ही खटिया डालकर आराम भी करते हैं। विभाग का कहना है कि कोरोना ड्यूटी में सभी लगे हैं, लेकिन ऐसी लापरवाही कि एक भी स्टाफ यहां न रहे और ग्रामीणों को ऐसे ही कई किलोमीटर का चक्कर लगाकर दूसरे अस्पताल भटकना पड़े।
राजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा सलेमपुर गांव का न्यू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इस बीहड़ पट्टी के लोगों के स्वास्थ्य सुविधा के लिए वर्ष 2005-06 में शुरू किया गया था। यहां से जुड़े बीहड़ पट्टी के ग्राम रसूलपुर, वैना, सलेमपुर, जैनपुर, हरी का पुरवा, डाडापुर, नैनपुर, कुंवरपुर, सिलहरा, मदियापुर, देवपुर, ततारपुर, जल्लापुर, सिकंदरा, अफसरिया, रमऊ, शाहाबापुर, मदारीपुर, भाल, खलासपुर, गणेशपुर, बुढ़ना, गुबार, पिचौरा समेत अन्य गांव के लोग यहां आते थे। यहां एक्सरे मशीन, रक्तचाप की मशीन समेत अन्य उपकरण जंग खा रहे तो दवाएं भी रखे रखे खराब हो रही हैं। प्रसव व इमरजेंसी सेवाओं का तो यहां हमेशा रोना रहा और हमेशा रेफर ही किया गया। वह भी कुछ समय से ज्यादातर यहां ताला बंद रहता है। न्यू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात प्रभारी चिकित्सक डॉ. शीतल वर्मा, डॉ. स्वाति वर्मा, फार्मासिस्ट शंकर सिंह, स्टाफ नर्स शशी देवी, वार्ड ब्वाय गोविद व चतुर्थ श्रेणी कर्मी कपिल सचान की तैनाती है। बीते दो माह से यहां ताला ही लटका रहता है और खांसी जुकाम की भी दवा नहीं मिल रही। राजपुर पीएचसी प्रभारी डॉ. डीके सिंह ने बताया कि यहां तैनात डॉक्टर व स्टाफ कोरोना ड्यूटी पर सैंपल लेने जाते हैं, लेकिन अस्पताल में एक भी स्टाफ नहीं रोका गया लगातार ताला बंद तो इस पर जवाब नहीं है। आखिर गांव के लोग बीमार या घायल होने पर ही अस्पताल आएंगे तो ऐसे में किसी का न होना घोर लापरवाही है।
आवास हो रहे जर्जर
यहां स्टाफ के लिए आवास बने हैं जो कि जर्जर हो चुके हैं और आसपास गंदगी व झाड़ियां उग आई हैं। अस्पताल कोई आता नहीं तो आवास में रुकने का सवाल नहीं है। खिड़कियों के शीशे तक टूट चुके हैं और यह निष्प्रयोज्य साबित हो रहा है।
ग्रामीणों का दर्द सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बंद रहने से बीमार लोग इलाज के लिए गांव में झोलाछाप से उपचार कराने को मजबूर हैं। एक भी व्यक्ति इस अस्पताल में ड्यूटी पर नहीं रहता है। जनता परेशान है।
बब्बन दीक्षित, प्रधान भाल गांव यह अस्पताल बनने पर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलने की आस जगी थी, लेकिन इसके संचालन के बाद स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल होने से लोग बेहद मायूस है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन यदि ठीक से कराया जाए तो बीमार मरीजों को बेहतर उपचार मिल सकता है।
मिटू सिंह, वैना गांव सरकार के खर्चे के बाद भी
ग्रामीणों को गंभीर समस्या होने पर इस अस्पताल पर न दवाई है न कोई चिकित्सा व्यवस्था। लोग मजबूर होकर अपने स्तर से जिला अस्पताल या फिर कानपुर सरकारी या निजी अस्पताल जाने को मजबूर होते है।
सोनू सिंह, सलेमपुर यहां बुखार की दवा लेने आया था,लेकिन ताला ही लटका है कल भी यही हाल था। अब मजबूरी में झोलाछाप के यहां दवा लेनी होगी। यह भवन हम लोगों के लिए धोखा साबित हो रहा है।
गया प्रसाद, वैना गांव