हर साल करते जद्दोजहद, हरियाली फिर भी कोसों दूर
जागरण संवाददाता कानपुर देहात स्वस्थ पर्यावरण के लिए हर साल सरकारी व निजी स्तर पर जद्दोजहद की
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : स्वस्थ पर्यावरण के लिए हर साल सरकारी व निजी स्तर पर जद्दोजहद की जाती है लेकिन हरियाली का दायरा बढ़ने के बजाय सिमटता चला जा रहा है। जमीनी हकीकत तो यह बताती है कि जिले में महज करीब तीन फीसद क्षेत्रफल ही हरियाली से आच्छादित हो सका है।
संतुलित पर्यावरण के लिए 33 फीसद क्षेत्र हरा-भरा होना चाहिए। इस मानक पर जिला खरा नहीं उतर रहा है। जिले का कुल क्षेत्रफल 3,021 वर्ग किलोमीटर है। इसमें महज 90.60 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र हैं। हर साल वृहद स्तर पर पौधरोपण अभियान चलाए गए, लेकिन हरियाली का दायरा बढ़ने का नाम नहीं ले रहा है। लापरवाही के चलते बीते वर्षो में जो पौधे लगाए गए वह कुछ दिन बाद ही दम तोड़ गए। डेरापुर, रसूलाबाद व भोगनीपुर में करीब 436 हेक्टेयर वन क्षेत्र में पौधे लगाए गए थे। मौजूदा समय में यहां 50 फीसद पौधे भी सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सिर्फ जद्दोजहद ही होती रहेगी या हरियाली का दायरा भी बढ़ेगा। सामूहिक प्रयास की बात करें तो बहुत ही कम लोग हैं जो वास्तव में पौधरोपण कर रहे हैं। केवल सरकारी विभागों के भरोसे बैठकर ही अपने गांव व कस्बों को हरा-भरा नहीं किया जा सकता है। हर किसी को न केवल पौधे लगाने चाहिए, बल्कि संरक्षण भी करना चाहिए।
करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं पनपे पौधे
पिछले साल वन विभाग ही नहीं बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, नगर पंचायत, पुलिस, जिला पंचायत, सिचाई, विद्युत, लोक निर्माण विभाग व मनरेगा के तहत 31 लाख से अधिक पौधे रोपित किए गए थे। लगभग 22-25 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। ऐसे में अगर पौधों की देखभाल हो जाती तो वनाच्छादित क्षेत्र बढ़ सकता था।
आमजन को आना होगा आगे
पर्यावरणविद् नवीन कुमार का कहना है कि हर व्यक्ति की जिम्मेदारी तय करने से ही हरियाली बढ़ेगी। पौधों को लगाने के साथ बेटे की तरह उनकी देखभाल की जाए। अधिक से अधिक नीम, पीपल, आंवला व सहजन आदि औषधीय पौधे लगाए जाएं। यह पौधे अधिक मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड शोषित कर ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं।
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पांच जुलाई को वृहद अभियान चलाकर 47 लाख 79 हजार पौधे रोपित किए जाएंगे। संबंधित विभाग पौधों की देखभाल भी करते हैं। जिन स्थानों गत वर्ष लगाए गए पौधे सूख गए हैं वहां दोबारा पौधारोपण कराया जाएगा।
-ललित मोहन गिरि, जिला वन अधिकारी