विपत्ति पर भक्त के लिए दौड़े आते भगवान
संवाद सूत्र रूरा सच्चे मन से ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले व्यक्ति का कोई भी बाल बांका नहीं क
संवाद सूत्र, रूरा : सच्चे मन से ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले व्यक्ति का कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता है क्योंकि विपत्ति पर भक्तों की मदद के लिए खुद ईश्वर आते हैं। यह बातें आचार्य राम कुमार अनजाना ने डगराहा गांव के पाली माता मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रह्लाद की भक्ति का वर्णन सुनाते हुए कही।
उन्होंने बताया कि प्रहलाद हिरण्यकश्यप के पुत्र थे और वह हमेशा ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र की ईश्वर भक्ति से नाराज होकर उस पर अत्याचार कर उत्पीड़न करने लगे, इसके बाद भी प्रहलाद की भक्ति नहीं टूटी। हिरण्यकश्यप ने उन्हें पूछा कि बता तेरा ईश्वर कहां है, प्रह्लाद ने कहा मेरा ईश्वर सर्वव्यापी है व हर जगह विद्यमान है। इस पर हिरण्यकश्यप ने खंभे से ईश्वर को बुलाने की बात कही। भक्त प्रहलाद ने हाथ जोड़कर ईश्वर आराधना की तो स्वयं नृसिंह अवतार में भगवान अवतरित होकर हिरण्यकश्यप को नाखूनों से चीर कर उसका नाश किया और भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। रात में रामकथा में शशिकांत त्रिपाठी ने राम चरित मानस पाठ का अनुसरण अपने जीवन में उतार कर संस्कार सुधारने की नसीहत दी। कार्यक्रम में प्रधान राजन शुक्ला, महावीर शर्मा, रामबाबू शुक्ला, नत्थू लाल सविता, रमाशंकर यादव, राजकिशोर तिवारी, रविन्द्र प्रजापति, गजोधर गौतम, जगदीश पाल सहित अन्य मौजूद रहे। उधर कस्बा के पाथामाई मंदिर परिसर में आचार्य आलोक कुमार ने वेदमंत्रों से कलश पूजन कर वेदवाणी से दुर्गा सप्तशती पाठ शुरू कराया जिसमें लोगों ने जयघोष लगाए। इसमें बउआ दीक्षित, शांति अवस्थी पुजारी आशीष सहित अन्य लोग शामिल रहे।