श्रद्धा की सेवा से शिखर पर पहुंची शिक्षा
गोल्डन द्विवेदी रूरा (कानपुर देहात) जरैलापुरवा का स्क
गोल्डन द्विवेदी, रूरा (कानपुर देहात): जरैलापुरवा का स्कूल कहने को प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन यहां पढ़ाई कॉन्वेंट की तर्ज पर हो रही है। वैज्ञानिक मॉडल, आकृतियों व चार्ट के जरिए बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ाया जाता है। यहां पर रद्दी कागजों व कबाड़ चीजों से उपयोगी सामान बनाने का हुनर भी बच्चे सीखते हैं। विद्यालय का यह कायाकल्प प्रधानाध्यापिका श्रद्धा शुक्ला के सार्थक प्रयास के कारण ही संभव हो सका।
अति पिछड़े क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका श्रद्धा शुक्ला की तैनाती वर्ष 2015 में हुई थी। स्कूल में पढ़ाई का स्तर सही नहीं था, जिसे देख उनका मन व्याकुल हो उठा। उन्होंने स्कूल में शिक्षा का स्तर सुधाने की ठान ली। बच्चे विज्ञान की पढ़ाई रुचि लेकर कर सके इसके लिए उन्होंने थर्माकोल से विज्ञान व गणित के मॉडल बनाए। छात्रों की समझ में तो वे मजा लेकर पढ़ने लगे। कुछ समय में ही विज्ञान व गणित का डर उनके मन से गायब हो गया। यहां के बच्चे फर्राटे से अंग्रेजी भी बोलने लगे। बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्होंने आसपास केगांवों में अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया। उनके प्रयास रंग लाए और 16 बच्चों की संख्या बढ़कर 36 तक पहुंच गई। श्रद्धा कहती है कि उनका पहला कर्तव्य है कि सभी को अच्छी शिक्षा मिल सके, इसके लिए ही हर प्रयास वह करती हैं। ---------------------
स्कूल में ही उगा दी पौष्टिक सब्जी
मिड डे मील के लिए उन्होंने स्कूल परिसर में गाजर, टमाटर, मिर्च व गोभी को उगा दिया। आसपास फुलवारी भी लग गई, इससे परिसर में हरियाली फैल गई। उन्होंने बच्चों को भी पौधारोपण के लिए प्रेरित किया।
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कबाड़ से बनाए उपयोगी सामान
विद्यालय के खाली समय में छात्र- छात्राओं को पुराने रद्दी अखबार से कागज के रोल बनाकर उससे टोकरी, बॉक्स आदि उपयोगी वस्तुएं बनाई। साथ ही कपड़े से आर्टिफिशियल फूल तैयार कराकर गुलदस्ते बनाना भी सिखाया। बच्चों ने जब घरों पर इसे बनाकर सजाया और रखा तो परिवार वालों ने भी तारीफ की।