यज्ञशाला की परिक्रमा कर कमाया पुण्य
संवाद सूत्र रूरा बालाजी धाम धनीरामपुर में श्रीराम कथा के आखिरी दिन यज्ञशाला की परिक्रमा क
संवाद सूत्र, रूरा : बालाजी धाम धनीरामपुर में श्रीराम कथा के आखिरी दिन यज्ञशाला की परिक्रमा कर लोगों ने पुण्य कमाया। ईश्वर से लोगों ने परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। वहीं पूर्णाहुति में वेदमंत्रों के साथ विश्व शांति की कामना की गई।
कथा वाचक नवलेश महाराज ने सुंदरकांड का प्रसंग का सुनाते हुए बताया कि वर्तमान युग में हनुमानजी ही सबका कल्याण कर रहे हैं। सीता माता ने हनुमानजी को वरदान दिया की अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता, हनुमान जी अष्टसिद्धियों के दाता हैं और इनसे बलवान कोई नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने प्रभु श्रीराम के रावण वध और फिर राम राज्याभिषेक की कथा का प्रसंग सुनाया। इस मौके पर उन्होंने जीवन कल्याण के लिए नित्य पूजन पाठ व सत्संग करने की अपील की। यज्ञाचार्य राम निवास मिश्रा की देख रेख में दोपहर बाद वेदमंत्रों की गूंज के साथ कोरोना खात्मा, लोक व जन कल्याण की कामना के साथ पूर्णाहुति की गई। लोगों ने यज्ञशाला की परिक्रमा लगाई। मंदिर के मुख्य महंत वीरेंद्र पांडेय, पुजारी राम कुमार, राकेश तिवारी के अलावा अविनाश ओमर, जगदीश गुप्ता, पूरन ओमर, लक्ष्मीधर त्रिपाठी, गोविद सिंह, उत्तम सिंह, संजय मौजूद रहे।
कथा में भगवान और भक्त के महत्व को बताया
संवाद सहयोगी, सिकंदरा : मूड़ादेव गांव में श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम श्रोताओं को जीवन के मूल तत्व को समझाया गया। कार्यक्रम के दूसरे दिन भगवान और भक्त के महत्व को बताया।
कानपुर से पधारे कथावाचक पंडित श्रीकांत तिवारी ने बताया कि सच्चे मन से भगवान की भक्ति करो तो भगवान को आना ही पड़ता है। भगवान को पाने के लिए स्वयं को उनके प्रति भाव का समर्पण होना बेहद आवश्यक है। उन्होंने मानव जन्म के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सभी योनियों में श्रेष्ठ मानव भगवान की भक्ति करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लेता है लेकिन संसार की सुख सुविधाओं में फंसकर जीवन व्यर्थ गवां देता, इसीलिए अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। वहीं भजन जग में प्यारे हैं दो नाम, कृष्ण कहो चाहे राम..पर भाव विभोर हो झूमने लगे। वहीं रिचा द्विवेदी के मनभावन भजनों को सुनकर पंडाल तालियों से गूंज उठा। कथा में परीक्षित, पहलवान सिंह यादव आदि मौजूद रहे।