सब सुत प्रिय मोहि प्रान कि नाई, राम देत नहीं बनइ गुसाई
संवाद सहयोगी रसूलाबाद क्षेत्र की रामलीला में सोमवार रात मुनि याचना ताड़का वध मारीच व सुब
संवाद सहयोगी, रसूलाबाद : क्षेत्र की रामलीला में सोमवार रात मुनि याचना, ताड़का वध, मारीच व सुबाहुवध की लीलाओं का मंचन किया गया। असुर समूह द्वारा यज्ञ में बाधा डालने से परेशान विश्वामित्र मुनि दशरथ के राज दरबार में गए और उनके पुत्र श्रीराम व लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए मांगा। वृद्धावस्था में संतान सुख प्राप्त करने वाले राजा दशरथ ने मुनि से कहा चौथे पन पायउं सुत चारी, विप्र वचन नहि कहेहु बिचारी। मागहु भूमि धेनु धनु कोसा, सर्वसु देउं आज सहरोसा। सब सुत प्रिय मोहि प्रान कि नाईं, राम देत नहीं बनइ गुसाईं।
दशरथ के इन वचनों को सुनकर वशिष्ठ मुनि ने उन्हें भली प्रकार समझाया तब राजा दशरथ का संदेह नष्ट हुआ और उन्होंने दोनों पुत्रों को बुलाकर मुनि को सौंपा। दोनों पुत्रों श्रीराम व लक्ष्मण को लेकर विश्वामित्र अपने आश्रम की ओर चल दिए। रास्ते में ताड़का क्रोध करके उनकी ओर झपटी तो भगवान ने एक ही बान प्रान हरि लीन्हा, दीन जानि तेहि निज पद दीन्हा। एक ही बाण से ताड़का को मारकर भगवान ने उसे अपने दिव्य स्वरूप दिया। इसके बाद विश्वामित्र ने श्रीराम और लक्ष्मण को अनेक प्रकार की विद्या दीं। इन विद्या से भूख और प्यास नहीं लगती थी और कुछ भोजन न करने के बाद भी शरीर का तेज वैसा ही बना रहता था। फिर भगवान ने मुनि से कहा कि आप निर्भय होकर यज्ञ करें मैं यज्ञ की रक्षा कर रहा हूं। इसी दौरान मारीच अपने सहयोगियों के साथ आया जिसे भगवान श्रीराम ने बाण मारा तो वह सौ योजन दूर सागर के पार जाकर गिरा। इसके साथ ही सुबाहु आदि को भी भगवान ने मारकर मुनियों को निर्भय कर दिया।