कुटीर उद्योग की तरह फैला कच्ची का पक्का धंधा
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जिले की 18 चिह्नित बस्तियों में कच्ची शराब का कारोबार लघ
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जिले की 18 चिह्नित बस्तियों में कच्ची शराब का कारोबार लघु उद्योग के रूप में फल फूल रहा है। इन बस्तियों में रात के अंधेरे में कच्ची शराब बनाने वाली भट्ठियां धधकती हैं। जिम्मेदार विभागों के भेदियों की मिलीभगत से अवैध शराब कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं। यही वजह है कि आबकारी व पुलिस के संयुक्त छापे के दौरान शुक्रवार को अवैध शराब कारोबारियों ने टीम पर हमला तक कर दिया। इस घटना के बाद आबकारी अफसरों ने अब जिले में अवैध शराब कारोबार का नेटवर्क तोड़ने की तैयारी कर ली है।
जिले में सस्ते में नशा कराने के नाम पर कच्ची शराब का अवैध कारोबार फलफूल रहा है। आबकारी विभाग के सर्वेक्षण में पिछले साल अवैध कच्ची शराब कारोबार के लिए 18 बस्तियों का चिह्नाकन हुआ था। इनमें अकबरपुर के कंजड़ डेरा के अलावा केशरी निवादा शिवली, गजनेर के सैंथा कंजड़ डेरा, मंगलपुर के कंजड़ डेरा के अलावा सबलपुर, उडनवांपुर, डेरापुर में लाड़पुर पैठ, रसूलाबाद के कंजड़ डेरा, भोगनीपुर के पिलखिनी, रनियां डेरा, हारामऊ, महेरा, मूसानगर के इमिलिहा, नगीना, गुलौली सरांय व भोगनीपुर के कबूतरा डेरा परेहरापुर व चौरा आदि शामिल हैं। पुलिस व आबकारी विभाग के कुछ कर्मचारी इन बस्तियों में कच्ची शराब कारोबारियों के लिए भेदिए का काम कर चौथ वसूलते हैं। मई माह में शासन की सख्ती के बाद आबकारी व पुलिस के एक दर्जन से अधिक कर्मियों पर कार्रवाई के बाद मुखबिर तंत्र डैमेज होने तथा लगातार हो रही छापेमारी के बाद अब अवैध कारोबारी छापे के दौरान लोगों को भड़का कर हमला भी कराने लगे हैं। आबकारी निरीक्षक गिरिराज ¨सह ने बताया कि पुलिस से समन्वय बनाकर अवैध शराब कारोबार का नेटवर्क पूरी तरह ध्वस्त करने की कार्ययोजना बनी है। ऐसे तैयार होती कच्ची शराब
गुड़ का शीरा, महुआ, बेशरम का पत्ता, नीम की पत्ती आदि को मिलाकर इसे सड़ाने को जमीन में गाड़ दिया जाता है। करीब 10-15 दिन बाद इसे निकालकर भट्टी पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद शराब को नशीला बनाने के लिए मिथाइल मिलाया जाता है। मिथाइल न मिलने पर नौसादर या फिर यूरिया या वा¨शग पाउडर मिलाकर शराब तैयार की जाती है। अधिक नशीला बनाने को अलप्राक्स समेत अन्य नशीली गोलियों का घोल भी मिलाया जाता है।
कम पैसे में अधिक नशा के लालच में बिकता जहर
कच्ची शराब के कारोबारी कम पैसे में अधिक नशा कराने के चक्कर में लोगों को जहर परोस रहे हैं। कच्ची शराब को अधिक नशीला बनाने के चक्कर में कारोबारी नौसादर, अलप्राक्स, डाइजापाम आदि का मिश्रण मिला देते हैं। इसकी मात्रा अधिक होने से यह घातक हो जाता है। किससे कितना होता नुकसान
नौसादर : कापर सल्फेट नाम से जाना जाता है। इससे चर्म रोग की आशंका।
नाइट्राबेट व डायजापाम : नींद की दवा है। आंख व दिमाग को क्षति पहुंचाती है।
मिथाइल : घातक अम्ल है। इसके प्रयोग से जान को खतरा हो सकता है।
यूरिया : खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है। धीमे जहर का काम करती है। अवैध शराब कारोबारियों पर गैंगस्टर की तैयारी
अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र के बिवाइन गांव में 20 जुलाई को आबकारी व पुलिस टीम के छापे में वहां के देशी शराब ठेके में अवैध शराब कारोबार संचालित मिला था। मौके से तात्याटोपे नगर बर्रा कानपुर के प्रवीण कुमार व घार मूसानगर के अजय कुमार को पुलिस ने 35 पेटी अवैध शराब सहित पकड़ा था। मामले में पुलिस ने इन दोनों के अलावा रतनपुर बलरामपुर घाटमपुर निवासी ठेकेदार श्रीकृष्ण के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जबकि 21 जुलाई को अकबरपुर पुलिस ने दरगवां अकबरपुर के सुमित यादव के अलावा पतरसा घाटमपुर के प्रदीप सचान व वंशलाल को अवैध शराब सहित गिरफ्तार किया था। अकबरपुर कोतवाल ऋषिकांत शुक्ला ने बताया कि पांचों के खिलाफ गैंगसटर के तहत निरोधात्मक कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही इनकी संपत्ति जब्तीकरण की भी कार्रवाई कराई जाएगी।