घाटमपुर सिविल कोर्ट के अस्तित्व पर संशय के बादल!
संवाद सहयोगी, घाटमपुर : न्यायिक क्षेत्राधिकार कानपुर नगर में जाने के चर्चाओं के बीच घाटमप
संवाद सहयोगी, घाटमपुर : न्यायिक क्षेत्राधिकार कानपुर नगर में जाने के चर्चाओं के बीच घाटमपुर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) न्यायालय का अस्तित्व पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। इसके पीछे अस्थायी न्यायालय के कार्यकाल में बढ़ोत्तरी का अबतक नोटीफिकेशन जारी न होना है। न्यायालय की वैधता अवधि 28 फरवरी 2018 थी, यहां तैनात सिविल जज के स्थानांतरण के बाद चर्चाओं को बल मिल रहा है।
स्थानीय अधिवक्ताओं के लंबे संघर्ष के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय की संस्तुति पर शासन ने 23 दिसंबर 2011 को नोटीफिकेशन जारी कर घाटमपुर में अस्थाई सिविल जज न्यायालय स्थापना की स्वीकृति दी थी। 7 अप्रैल 2012 को स्थानीय कचहरी स्थित बार एसोसिएशन के सभागार में सिविल जज जूनियर डिवीजन के अस्थाई न्यायालय का शुभारंभ उच्च न्यायालय इलाहाबाद के तत्कालीन न्यायमूíत एवं रमाबाईनगर (कानपुर देहात) जिले के प्रशासनिक जज इम्तियाज मुर्तजा ने किया था। अधिवक्ताओं की पैरवी के चलते हमीरपुर रोड में न्यायालय के भवन निर्माण के लिए भूमि आवंटित हो गई थी लेकिन निर्माण नही शुरू हो सका है। अस्थायी न्यायालय की वैधता अवधि खत्म होने के पूर्व ही कार्यकाल बढ़ाने का नोटीफिकेशन जारी होता था। बीते वर्ष जारी नोटीफिकेशन के मुताबिक न्यायालय का कार्यकाल 28 फरवरी, 2018 था।
इधर, कानपुर देहात न्यायालय के माती (अकबरपुर) स्थानांतरण होने के बाद से कानपुर बार एसोसिएशन ने घाटमपुर व बिल्हौर तहसीलों के न्यायिक क्षेत्राधिकार को भी नगर में शामिल कराने की मुहिम तेज कर रखी है। फिलहाल घाटमपुर बार एसोसिएशन के विरोध के चलते न्यायिक क्षेत्राधिकार परिवर्तन का मामला अभी अटका है। 28 फरवरी बीतने के बाद अस्थायी न्यायालय के कार्यकाल वृद्धि का नोटीफिकेशन जारी न होने से वादकारियों व अधिवक्ताओं के माथे पर बल है। स्थानीय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलापति त्रिपाठी कहते हैं कि अब तक नोटीफिकेशन न जारी होना गंभीर बात है। वह साथियों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तैयार करेंगे।
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पीआईएल दाखिल करेंगे अधिवक्ता
घाटमपुर: नगर में सिविल जज न्यायालय स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले अधिवक्ता कुलदीप ¨सह परमार कहते हैं कि नगर में न्यायालय का अस्तित्व खत्म होने से वादकारियों व अधिवक्ताओं को परेशानी होगी। अधिवक्ता न्यायायिक क्षेत्राधिकार परिवर्तन के विरोध में हैं, इसके बाबत उच्च न्यायालय से लेकर शासन तक अवगत कराया जा चुका है। अस्थायी न्यायालय को बनाए रखने के लिए वह जल्द उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल करेंगे।