ब्रिज से हवा हो जाती बसें, बे-पटरी हुआ व्यापार
जागरण संवाददाता कानपुर देहात वह भी क्या दिन थे सड़क सकरी थी लेकिन अव्यवस्था इस तरह की
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: वह भी क्या दिन थे, सड़क सकरी थी लेकिन अव्यवस्था इस तरह की नहीं थी। रात हो या फिर दिन आवागमन के साधन तो उपलब्ध हो जाते थे। ओवर ब्रिज के बना पूरे नगर में आवागमन के संसाधनों का अकाल हो गया। रोडवेज बस चालकों को भी आराम हो गया। कारण कि वह तो ऊपर-ऊपर निकल जाते हैं नीचे सवारियां बसों को दूर से गुजरते देख ताकती रह जाती हैं। व्यापारियों का यह दर्द कोई दूर नहीं कर रहा है। वैसी इसके लिए बहुत अधिक प्रयास करने की जरूरत भी नहीं, केवल ऊपर जाने वालों बसों को नीचे से गुजरने का फरमान ही सुनाना है।
अकबरपुर-माती नगर के अंदर कानपुर-इटावा औरैया हाईवे पर 2003 में ओवर ब्रिज बनने लगा था। उससे पहले यहां सिगल रोड था। दिक्कतें थीं लेकिन रोडवेज बसें रुक जाती थी। इससे लोगों को आने जाने के लिए साधनों को ताकना नहीं पड़ता था। रात हो या दिन कभी कोई परेशानी वाली बात ही नहीं थी। पुल क्या बना इसके बाद तो जैसे चारो ओर की परेशानियों ने घेर लिया। बस चालकों की मनमानी से दैनिक यात्रियों के साथ ही स्थानीय व्यापारियों व क्षेत्रीय लोगों को घोर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कानपुर से आने व जाने वाले इटावा से कानपुर जाने वाले रोडवेज बस चालक अकबरपुर चौराहे स्थित सर्विस लेन से न होकर ओवरब्रिज के ऊपर से ही बस निकल ले जाते हैं। ऐसे में अकबरपुर से जाने वाले यात्री ब्रिज के छोर पर पहुंच कर बसों का इंतजार ही करते रहते हैं। यहां भी हालात सही नहीं
अकबरपुर व आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सिकंदरा, मुंगीसापुर, इटावा, औरैया, आगरा, दिल्ली आदि स्थानों पर जाने के लिए चौराहे से सर्विसलेन पर पैदल चलाकर ब्रिज के छोर पर जाकर बसों का इंतजार करना पड़ता है। दिन में तो वहां पहुंचने के लिए साधन मिल जाते हैं लेकिन रात के समय ब्रिज के छोर पर पहुंचना दिक्कतों भरा रहता है। बसों को सर्विस लेन तक लाने को हुई थी कर्मचारियों की तैनाती
परिवहन निगम ने कानपुर व आगरा रूट से आने वाली रोडवेज की बसों को अकबरपुर चौराहे से होकर चलाने की योजना बनाई थी। लेकिन बस चालकों की मनमानी ने योजना फ्लाप कर दी। जिसके बाद विभाग ने दो कर्मचारियों की तैनाती कर दी। जो कानपुर व आगरा की ओर ओवरब्रिज के छोर के पास खड़े होकर आने वाली बसों को सर्विसलेन से ले जाने का निर्देश चालकों को देते थे। लेकिन यह व्यवस्था कुछ दिन ही चली। कर्मचारियों के हटते ही बस चालक फिर से मनमानी करने लगे। व्यापारियों का दर्द
क्षेत्रीय व्यापारी बरातीलाल, अंकित गुप्ता, जगन्नाथ, प्यारेलाल ने बताया कि उनका दिल्ली व कानपुर आना जाना अक्सर होता रहता है ऐसे में रोडवेज बस पकड़ने के लिए उन्हें अकबरपुर कोतवाली स्थित पुल के छोर या फिर कानपुर के छोर की ओर जाना पड़ता है।