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बस न चलने से बे-बस यात्री, संक्रमण में सफर

जागरण संवाददाता कानपुर देहात पिछले दो माह से अधिक समय गुजर गया लोग जहां के तहां थे। स

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 11:49 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jun 2020 06:01 AM (IST)
बस न चलने से बे-बस यात्री, संक्रमण में सफर

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : पिछले दो माह से अधिक समय गुजर गया लोग जहां के तहां थे। सरकार ने राहत दी तो गांव से शहर और शहर से गांव आने वालों की भीड़ सड़क पर उतर आई। अब जिसके पास अपने साधन हैं वह तो फुर्र हो गया, लेकिन बहुतेरे के पास तो सरकारी बस का सहारा है। उन्हें इंतजार है कि कब उनकी सीएनजी बस आए और आराम से सफर होगा। अब इनकी मजबूरी का फायदा उठाने वालों को देखिए। इन्हें अपना धंधा चमकाने की फिकर है, लेकिन कोरोना संक्रमण से लोग कैसे बचें यह चिता नहीं। पहले की तरह ही सवारियां बैठा रहे हैं और लोगों को खतरे में झोंक रहे हैं। इनको देखने वाला भी कोई नहीं।

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मौजूदा समय में परिवहन विभाग की ओर से रोडवेज की बसें तो संचालित हो चुकी हैं पर डिपो दूर होने से वहां तक हर कोई नहीं पहुंच पा रहा। अकबरपुर की सवारियां तो माती ओवरब्रिज के पास ही रुकती हैं और यहीं से साधन की तलाश भी करती हैं। यहां पर सीएनजी बसों का स्टाफ भी बना है। यहां से यदि बस अड्डा माती जाया जाए तो भी जरूरी नहीं कि उन्हें गंतव्य तक जाने के लिए बस मिल ही जाए। मजबूरी में यहां प्राइवेट टाटा मैजिक, बस तथा जीप आदि का ही सहारा लेना पड़ता है। यही हाल रसूलाबाद, रूरा, झींझक, रनियां आदि कस्बों का है। मजबूरी में सवारियों से किराया भी अधिक लिया जा रहा है और नियमों को ताक पर रखते हुए एक सीट पर कई-कई सवारियां ठूंस दी जा रही हैं। ऐसे में कौन संक्रमित घुसा बैठा है और कोरोना बांट रहा है किसको पता। चालक को तो किराए से मतलब। लोग भी बेफिक्र हैं और मास्क तक का प्रयोग नहीं करते।

जनता की कोई नहीं सुनता

अकबरपुर निवासी मोहित, हर्ष कहते हैं हम लोगों का कानपुर नगर जाना प्रति दन होता है। हाईवे पर बस ही सही साधन है लेकिन सीएनजी बस न चलने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसान मइयादीन, गुरुवा दूध का काम करते हैं, बारा के पास से दूध कानपुर ले जाते हैं। बस ही इनके लिए साधन था, लेकिन उसके न चलने से धंधा ठप है।

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सीएनजी बसों के संचालन को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, अधिकारियों को सूचना देकर सहयोग भी मांगा गया है।

-राकेश अग्रवाल, एआरएम सीटी बस।


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