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महिला अस्पताल जरूर आइए पर इलाज की गारंटी भूल जाइए

एसएनसीयू में बेड खाली फिर भी नवजात को कर दिया रेफर प्रभावी कार्रवाई न होने से बेखौफ डॉक्टर मनमानी पर आमादा मरीज परेशान

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 12:25 AM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 06:17 AM (IST)
महिला अस्पताल जरूर आइए पर इलाज की गारंटी भूल जाइए
महिला अस्पताल जरूर आइए पर इलाज की गारंटी भूल जाइए

जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जनपद के प्रशासनिक अफसरों से लेकर प्रभारी मंत्री तक की नसीहत के बावजूद जिला अस्पताल की व्यवस्थाएं दुरस्त नहीं हो पा रही हैं। कार्रवाई न होने से डॉक्टर बेखौफ होकर मनमानी पर आमादा हैं। हालात इस कदर बेलगाम हैं कि अस्पताल में बेड होने के बावजूद खाली न होने का हवाला देकर जिदगी और मौत से जूझते मासूमों को रेफर किया जा रहा है।

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अकबरपुर शहर के वार्ड नंबर सात माती रोड निवासी रोहित तिवारी ने प्रसव पीड़ा होने पर पत्नी कल्पना को बीते गुरुवार को जिला अस्पताल के मेटरनिटी विग में भर्ती कराया था। दूसरे दिन शुक्रवार को आपरेशन से प्रसव कराया गया। इसके बाद नवजात को उल्टियां होने लगी। परिजन डॉक्टरों के पास गए तो उन्होंने सिक-न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में भर्ती कराने की सलाह दी। रोहित ने बताया कि शनिवार देर रात नवजात पुत्र की हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे एसएनसीयू ले गए, जहां डयूटी पर मौजूद डॉ. संजीव पोरवाल ने वार्ड में बेड खाली न होने का हवाला देकर रेफर करने की बात कही जबकि मौके पर कई बेड खाली पड़े थे। काफी मिन्नतें करने के बावजूद चिकित्सक हठधर्मी पर अड़े रहे और नवजात को भर्ती नहीं किया बल्कि बेड उपलब्ध न होने की बात दर्शाकर सरकारी पर्चा थमा दिया। मजबूरन उसे प्राइवेट एंबुलेंस से गंभीर हालत में नवजात को कानपुर नगर के अस्पताल ले जाना पड़ा और डॉक्टर आराम फरमाते रहे। एसएनसीयू वाले द्वितीय तल पर केबिल जलने से विद्युत आपूर्ति बाधित चल रही है। ऐसे में गंभीर बच्चों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। संबंधित संस्था को पत्र भेजा गया है। मरम्मत के बाद भी व्यवस्था सुचारू हो सकेगी।

-डॉ. अर्चना श्रीवास्तव (प्रभारी सीएमएस महिला अस्पताल) बिना तारीख थम दिया रेफर पर्चा

-महिला अस्पताल में अराजकता इस कदर हावी है कि डॉक्टर सरकारी नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए काम करते हैं। शनिवार रात बेड खाली न होने का हवाला देकर नवजात को रेफर करने के दौरान जिम्मेदारों ने सरकारी पर्चा तो थमा दिया, लेकिन उसपर तारीख डालना भूल गए। ऐसे में रेफर पर्चा महत्वहीन हो गया।


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