37 साल बाद भी परिवहन समस्या से जूझ रहे लोग
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: अलग जिला बनने के 37 साल बीतने के बाद भी रोडवेज अफसरों की
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात: अलग जिला बनने के 37 साल बीतने के बाद भी रोडवेज अफसरों की अनदेखी से यहां के लोगों को परिवहन समस्या से निजात नहीं मिल सकी। माती डिपो बनकर तैयार होने व प्रभारी मंत्री द्वारा उदघाटन करने के छह माह बाद भी इसका संचालन नहीं हो सका। इतना ही नहीं माती बस स्टेशन में बसों के न रुकने तथा जिले के कई कस्बों में बस सेवा न होने से टेंपो ही यहां यातायात के प्रमुख साधन बने हैं। जबकि शाम ढलते ही लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
जिले की परिवहन समस्या के निदान के लिए शासन की मंजूरी के बाद अक्टूबर 2015 में 439.53 लाख की लागत से माती में परिवहन निगम के डिपो का निर्माण शुरू हुआ था। कार्यदायी संस्था समाज कल्याण निर्माण निगम द्वारा पिछले साल डिपो के भवन का निर्माण पूरा करा दिया गया। आधी अधूरी व्यवस्था के बीच जिले के प्रभारी मंत्री ने माती डिपो का उदघाटन भी कर दिया था। लेकिन डीजल पंप की व्यवस्था न होने तथा कुछ तकनीकी खामियों के चलते इसका संचालन अधर में लटका है।
इंसेट) माती बस स्टेशन भी बदहाल
माती में सात साल पहले बना बस स्टेशन बदहाली का शिकार है। छाया का इंतजाम न होने से यात्री खुले आसमान के नीचे बसों का इंतजार करते हैं। पानी के लिए भी यात्रियों को भटकना पड़ता है। रूट से निकलने वाली 25 बसों में से बमुश्किल 3 या 4 बसें ही रुकने से इस बस स्टेशन की उपयोगिता खत्म होती जा रही है। इसके अलावा जिले में संचालित होने वाली कानपुर मंगलपुर, कानपुर बनीपारा, कानपुर- झींझक व कानपुर से डेरापुर व नोनारी के लिए दो दर्जन से अधिक रोडवेज बसें बंद कर दिए जाने से टेंपो ही आवागमन के प्रमुख साधन बने हैं।
इनसेट- क्या कहते हैं जिम्मेदार
दीपावली के पहले तक माती डिपो के चालू कराने का प्रयास किया जा रहा है। डीजल पंप का भी निर्माण जारी है। संचालन के बाद छिटपुट कार्य बाद में भी पूरे कराए जाएंगे। डिपो का संचालन होने के बाद जिले की परिवहन समस्या स्वयमेव खत्म हो जाएगी। -कपिल देव, एआरएम फजलगंज