यमुना नदी किनारे लगेंगे 7.25 लाख पौधे
जागरण संवाददाता कानपुर देहात जिले की सीमा में बहने वाली यमुना नदी के किनारों को हरा
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : जिले की सीमा में बहने वाली यमुना नदी के किनारों को हरा भरा करने का फैसला लिया गया है। लगभग 7.25 लाख पौधे लगाए जाएंगे। यह सब गंगा एक्शन प्लान की तर्ज पर होगा। नदी से दस किमी के दायरे में आने वाली निजी क्षेत्र की भूमि पर लगाने के लिए किसानों को पसंद के पौधे दिए जाएंगे। इसको लेकर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने को सर्वे जल्द शुरू होगा।
जिले में सिकंदरा तहसील के पश्चिम में यमुना नदी का प्रवेश स्थल है। यह नदी दक्षिण पूर्व बहती हुई। भोगनीपुर तहसील के गौसगंज यानी मूसानगर क्षेत्र के बाद घाटमपुर कानपुर नगर सीमा में प्रवेश करती है। जिले में नदी का बहाव क्षेत्र लगभग तीस किलोमीटर है। नदियों का पुनरुद्धार सरकार की प्राथमिकता में है। गंगा नदी की तर्ज पर अब यमुना नदी के पुनरुद्धार की योजना है। इतना ही नहीं नदी क्षेत्र के दस किमी के दायरे में पौधारोपण व अन्य सुंदरीकरण के कार्य भी कराए जाएंगे। वन मंत्रालय इस अभियान में कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरैया व इटावा जिले अपने क्षेत्रों में यमुना नदी पुनरुद्धार के लिए अलग-अलग काम करेंगे। कानपुर के दीनदयाल नगर स्थित मुख्य वन सरंक्षक कार्यालय में यमुना पुनरुद्धार की रणनीति पर विमर्श किया गया। इस योजना की नोडल अधिकारी वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज की वैज्ञानिक डॉ. कुमुद दुबे ने मुख्य वन संरक्षक, कानपुर ओपी सिंह की मौजूदगी में सभी जिला वन अधिकारियों को योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यहां डीएफओ कानपुर देहात डॉ. ललित कुमार गिरी, डीएफओ इटावा सत्यपाल, डीएफओ सुंदरेशा यमुना पुनरुद्धार परियोजना से जुड़े संजय सिंह आदि मौजूद रहे। बताया गया कि पांच वर्ष की अवधि में यमुना पुनरुद्धार के तहत काम होंगे। जिन किसानों की निजी भूमि दायरे में आएगी उन्हें हरियाली वृद्धि के लिए पसंद के पौधे निश्शुल्क दिए जाएंगे। कानपुर देहात जिले में एक हजार हेक्टेयर भूमि योजना से आच्छादित होने का अनुमान है। प्रति हेक्टेयर 725 पौधे के अनुसार कुल 7.25 लाख पौधे लगाए जाएंगे। पांच बिदुओं पर होगा काम
पांच बिदुओं वाले कार्यों में यमुना को प्रदूषण मुक्त करने प्राथमिकता में है। यमुना नदी में कितने नाले गिर रहे हैं इसका ब्योरा जुटाया जाएगा। पानी प्रदूषित न हो इसके लिए बायो फिल्ट्रेशन रिवरफ्रंट डेवलपमेंट होगा। नदी किनारे इको टूरिज्म का विकास व नदी के आसपास रिक्त भूमि व औद्योगिक संस्थानों में पौधे लगाए जाएंगे। इस सभी कार्यों के लिए पांच वर्ष निर्धारित की गई है।