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Zika In Kanpur: एयरफोर्स की सजगता से सामने आया जीका, कुरसौली गांव में फैला बुखार आज भी रहस्य

एयरफोर्स स्टेशन के 57 वर्षीय अधिकारी को कई दिनों से बुखार आ रहा था। उनकी डेंगू मलेरिया और अन्य जांच की रिपोर्ट निगेटिव आई थीं। बुखार का पता नहीं चल पा रहा था। ऐसे में सेवन एयरफोर्स हास्पिटल के डाक्टरों ने जीका के संक्रमण की जांच कराने का निर्णय लिया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 05:41 PM (IST)
Zika In Kanpur: एयरफोर्स की सजगता से सामने आया जीका, कुरसौली गांव में फैला बुखार आज भी रहस्य
अधिकारी कुरसौली गांव में जीका की जांच कराने को तैयार नहीं हैं। प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जागरण संवाददाता। एयरफोर्स स्टेशन चकेरी प्रशासन की सजगता से समय से जीका वायरस के संक्रमण का पता चल गया। इसका नतीजा रहा कि शासन, प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे का अमला रोकथाम एवं बचाव के उपाय में जुट गया। हालांकि सर्विलांस टीमों की लापरवाही का नतीजा है कि 18 दिन बाद भी जीका वायरस के सोर्स का पता नहीं लग सका है। जिले में जीका वायरस के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। वहीं, स्वास्थ्य महकमे की बेपरवाह कार्यप्रणाली बताने के लिए कल्याणपुर ब्लाक का कुरसौली गांव ही काफी है, जहां फैला बुखार आज तक रहस्य बना है। गांव में 15 से अधिक मौतें हो चुकी हैं, जबकि हर घर में बुखार पीड़ित मिले हैं। फिर भी महकमे के जिम्मेदार कुरसौली में जीका की जांच कराने को तैयार नहीं हैं।

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एयरफोर्स स्टेशन के 57 वर्षीय अधिकारी को कई दिनों से बुखार आ रहा था। उनकी डेंगू, मलेरिया और अन्य जांच की रिपोर्ट निगेटिव आई थीं। फिर भी बुखार का पता नहीं चल पा रहा था। उनके शरीर में भीषण दर्द और आंखें लाल थीं। ऐसे में सेवन एयरफोर्स हास्पिटल के डाक्टरों ने जीका वायरस के संक्रमण की जांच कराने का निर्णय लिया। सभी प्रोटोकाल अपनाते हुए महाराष्ट्र के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी में जांच कराई। इसमें जीका के संक्रमण की पुष्टि हुई, जिससे शासन प्रशासन को पता चला और उसके बाद से सर्वे, सैंपलिंग और बचाव के कार्य किए जा रहे हैं। 

शहर में मच्छरों का प्रकोप, नियंत्रण के उपाय नहीं

शहर में मलेरिया विभाग की शहरी मलेरिया इकाई की भारी-भरकम फौज है, जिसमें स्थायी कर्मचारियों के साथ-साथ कीट संग्रहकर्ता भी हैं। उसके अलावा आउटसोर्सिंग कंपनी से डीबीसी (डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर) रखे गए हैं। बारिश से पहले मच्छरों की रोकथाम के उपाय नहीं किए गए। न ही स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों से नियमित कार्य नहीं कराए गए। कागजों पर ही ब्रीडिंग स्थल, लार्वा नष्ट करने और मच्छरों के घनत्व की रिपोर्ट तैयार कराई जाती रही। नतीजा, मच्छरों का प्रकोप बढ़ता गया। डेंगू के साथ-साथ जीका कहर बरपाने लगा। 

कुरसौली की स्थिति भयावह 

कल्याणपुर के कुरसौली, बिधनू, बिल्हौर, सरसौल, घाटमपुर एवं पतारा क्षेत्र समेत ग्रामीण अंचल में बुखार ने कहर बरपाया। कुरसौली में पूरा गांव बुखार की चपेट में आ गया। गांव में बुखार से 15 लोगों की मौत हो गई। शासन-प्रशासन के अधिकारी जांच के लिए गांव भी पहुंचे। जांच में गांव का पानी भी खराब पाया गया। मेडिकल टीम से भी जांच कराई गई, लेकिन बुखार के रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका। स्वास्थ्य महकमे के अधिकारियों ने कुरसौली में हुई मौतें डेंगू या बुखार की वजह से होने की बात आज तक नहीं स्वीकारी है।

- जीका वायरस के केस देश भर में सीमित संख्या में मिले हैं। ऐसे में शहर में जीका वायरस कैसे पहुंचा, अभी तक सोर्स का पता नहीं चल सका है। जीका प्रभावित क्षेत्र में सर्वे, सोर्स रिडक्शन, सर्विलांस एवं सैंपलिंग का कार्य तेजी से चल रहा है। पूर्व में हुई हीलाहवाली के लिए सीएमओ को पत्र लिखा है। कुरसौली गांव में विशेषज्ञों से जांच कराई जा चुकी है। - डा. जीके मिश्रा, अपर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल। 


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