CM के पास पहुंचा जीएसवीएम मेडिकल कालेज का मामला, असिस्टेंट प्रोफेसर के गलत निलंबन प्रकरण में सचिव से रिपोर्ट की तलब
विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव ने उनके पत्र का हवाला देते हुए सिर्फ एग्वा वेंटिलेटर की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। साथ ही वेंटिलेटर के रुकने की वजह से बच्चे की मौत होने का हवाला दिया था। भविष्य में ऐसे वेंटिलेटर का इस्तेमाल रोगी हित में न करने की बात कही थी।
कानपुर, जेएनएन। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर के गलत निलंबन प्रकरण को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है। उन्होंने प्रमुख सचिव से रिपोर्ट तलब की है। शासन ने मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला से जानकारी मांगी है। ऐसे में अधिकारियों ने खुद को फंसता देखकर असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नेहा अग्रवाल की इस प्रकरण में किसी प्रकार की गलती न होने की रिपोर्ट भेजी है। ऐसे में डा. नेहा का निलंबन वापस होने की उम्मीद जताई जा रही है।
मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) की प्रभारी डा. नेहा अग्रवाल ने पांच जुलाई को अपने विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर वेंटिलेटर की स्थिति से अवगत करा मरम्मत कराने का आग्रह किया था। विभागाध्यक्ष प्रो. यशवंत राव ने उनके पत्र का हवाला देते हुए सिर्फ एग्वा वेंटिलेटर की गुणवत्ता पर सवाल उठाए। साथ ही वेंटिलेटर के रुकने की वजह से बच्चे की मौत होने का हवाला दिया था। भविष्य में ऐसे वेंटिलेटर का इस्तेमाल रोगी हित में न करने की बात कही थी। शासन ने जब रिपोर्ट तलब की तो प्राचार्य प्रो. संजय काला को गुमराह करते हुए डा. नेहा के खिलाफ आख्या शासन भिजवा दी। जब सच्चाई सामने आई तो सरकार की किरकिरी होने लगी। मुख्यमंत्री ने शासन से रिपोर्ट मांगी है। प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना है कि डा. नेहा के निर्दोष होने की रिपोर्ट शासन को भेज दी है। उनकी कोई गलती नहीं है।
निलंबन से डाक्टरों में नाराजगी : डा. नेहा अग्रवाल का शासन के स्तर से गलत निलंबन होने से मेडिकल कालेज के चिकित्सा शिक्षकों में नाराजगी है। बाल रोग विभागाध्यक्ष एवं कालेज के प्राक्टर प्रो. यशवंत राव द्वारा अपने ही विभाग की डाक्टर के खिलाफ गलत सूचना देने की वजह से लामबंद हो रहे हैं।