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कहीं आपके बच्चे में तो नहीं हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज की समस्या, जानिए- किशोरों में क्यों पनप रही ये बीमारी

Hearing Day Special विगत चार-पांच वर्षों में वयस्कों से लेकर बच्चों और किशोर-किशोरियों में बीमारी की वजह से तेजी आवाज में सुनने की आदत पड़ रही है। जीएसवीएम के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने शोध में पाया है कि पंद्रह फीसद से ज्यादा किशोर-युवा तेजी से बीमारी का शिकार हो रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 08:42 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 08:42 AM (IST)
कहीं आपके बच्चे में तो नहीं हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज की समस्या, जानिए- किशोरों में क्यों पनप रही ये बीमारी
विश्व श्रवण दिवस पर विशेष अध्ययन रिपोर्ट पर आधारित।

कानपुर, जेएनएन। सावधान, कहीं आपका बच्चा हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज की समस्या का शिकार तो नहीं हो रहा है। जी हां, जीएसवीएम के ईएनटी डिपार्टमेंट के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने शोध में पाया है कि पंद्रह फीसद किशोर तेजी से इस बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। वाहनों का शोर-गुल, उनके प्रेशर हॉर्न, तेज आवाज में संगीत सुनने की आदत धीरे-धीरे सुनने की क्षमता यानी श्रवण शक्ति घटा रही है। विगत चार-पांच वर्षों में वयस्कों से लेकर बच्चों और किशोर-किशोरियों में ईयरफोन से संगीत सुनने की आदत उनकी सुनने की क्षमता तेजी से घटा रही है। 

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जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभागाध्यक्ष एवं एसोसिएट प्रोफेसर ने मिलकर जो अध्ययन किया है, उसमें पाया कि किशोर-किशोरियों में से 15 फीसद में सुनने की क्षमता घट गई। उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं थी, लेकिन ऊंचा सुनने लगे हैं। वजह यह कि लंबे समय तक तेज आवाज सुनने या शोर-गुल के क्षेत्र में रहने से हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज हो रहे हैं। हैलट अस्पताल परिसर स्थित नाक कान गला (ईएनटी) विभाग की ओपीडी औसतन 250-300 मरीज रोजाना आते हैं। उसमें से 40-50 किशोर-किशोरी होते हैं।

सुनने की समस्या लेकर पहुंचे 500 बच्चों पर विभागाध्यक्ष प्रो. एसके कनौजिया एवं एसोसिएट प्रोफसर डॉ. हरेंद्र कुमार ने मिलकर अध्ययन किया। उनकी जांच कराई तो 80 फीसद यानी 400 बच्चों में किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी जबकि 100 बच्चों में कान संबंधित अन्य समस्याएं पाई गईं। ये चार सौ बच्चे ऊंचा सुनने लगे थे। उनकी आदतों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि वे दिन भर में 8-10 घंटा तक मोबाइल फोन एवं ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं, गाना सुनते हैं। चार-पांच साल से उनकी यह आदत है।

  • चार-पांच साल तक तेज आवाज लगातार सुनने से श्रवण क्षमता प्रभावित होती है। इससे हियरिंग फ्रेम होल्ड डैमेज होने लगते हैं। सामान्य आहट की ध्वनि जो 30 डेसिबल में सुन लेते हैं, इस वजह से उसे सुनने में 35 डेसिबल की जरूरत पडऩे लगती है। ऐसी ही समस्या इन बच्चों में पाई गई है। -डॉ. हरेंद्र कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, ईएनटी विभाग।
  • मोबाइल फोन से ईयरफोन लगाकर तेज म्यूजिक सुनना घातक हो रहा है। सामान्य बातचीत 60 डेसिबल में होती है। अगर 120 डेसीवल की ध्वनि कान में पडऩे लगती है तो असहजता एवं घबराहट होने लगती है। अगर यह ध्वनि बढ़कर 130 डेसिबल पहुंच जाए तो कान में दर्द होने लगता है। ध्वनि 140 डेसिबल से अधिक हो जाए तो कान का पर्दा तत्काल डैमेज हो सकता है। -प्रो. एसके कनौजिया, विभागाध्यक्ष, ईएनटी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज।

तेज आवाज हो सकती है घातक

- 24 घंटे में दो घंटे से अधिक ईयरफोन का इस्तेमाल वयस्क न करें

- किशोर-किशोरियां 10-15 मिनट से अधिक समय तक ईयरफोन न लगाएं

- 90 डेसी डेसिबल से ऊपर की ध्वनि में पांच दिन से अधिक न रहें

- 70-80 डेसिबल की ध्वनि में दो घंटे से अधिक समय तक न रहें

- 80-90 डेसिबल से ऊपर का म्यूजिक डैमेज कर सकता है कान

क्या हैं अहम तथ्य

60 डेसिबल सामान्य बातचीत की ध्वनि

120 डेसिबल की ध्वनि कान में पडऩे से होती असहजता-घबराहट

130 डेसिबल से अधिक की ध्वनि से कान में होता है तेज दर्द

140 डेसिबल से अधिक की ध्वनि कान को तत्काल कर सकती डैमेज

यह है ध्वनि का मानक

स्थान : दिन -रात

आवासीय क्षेत्र-55- 45

मौन क्षेत्र-50-40

व्यावसायिक क्षेत्र-65-55

औद्योगिक क्षेत्र-75-70

(मानक डेसिबल में)

ध्वनि प्रदूषण की स्थिति

स्थान-दिन-रात

आवासीय क्षेत्र-70-45

मौन क्षेत्र-55-43

व्यावसायिक क्षेत्र-74-65

औद्योगिक क्षेत्र-82-76

(डेसिबल में)

कानपुर में कहां लगे हैं ध्वनि प्रदूषण रिकॉर्ड करने वाले संयंत्र

आवासीय क्षेत्र : किदवईनगर व तिलक नगर

मौन क्षेत्र : जीएसवीएम व ओईएफ गेस्ट हाउस

व्यावसायिक क्षेत्र : पीरोड व चेतना चौराहा

औद्योगिक क्षेत्र : फजलगंज

एलिम्को बना रहा दो तरह की कान की मशीनें

भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) में दो तरह की कान की मशीनें मिलती हैं। डीजीएम प्रोडक्शन आलोक ठाकुर ने बताया कि दो तरह की मशीनों में पॉकेट टाइप हियङ्क्षरग ऐड और बिहाइंड द ईयर डिजिटल हियरिंग ऐड शामिल है। पाकेट टाइप की मशीन को जेब में रखा जाता है जबकि उसकी लीड कान में रहती है। इसका वॉल्यूम कम या ज्यादा किया जा सकता है। बिहाइंड द ईयर को कान के पीछे फंसा कर इस्तेमाल किया जाता है। यह मशीन बेहद हल्की रहती है।


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