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सब्जी का 175 लाख टन उत्पादन करता है भारत, अधिक पैदावार के लिए ताइवान करेगा मदद

देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए ताइवान का विश्व सब्जी केंद्र अधिक पैदावार देने वाली प्रजातियों को विकसित करने के लिए भारत की मदद करेगा।

By Edited By: Published: Sat, 11 May 2019 01:38 AM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 09:51 AM (IST)
सब्जी का 175 लाख टन उत्पादन करता है भारत, अधिक पैदावार के लिए ताइवान करेगा मदद
कानपुर,जेएनएन। देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए ताइवान का विश्व सब्जी केंद्र अधिक पैदावार देने वाली प्रजातियों को विकसित करने के लिए भारत की मदद करेगा। इनमें ऐसी प्रजातियां शामिल होंगी जिनकी पैदावार बेमौसम की जा सकती है। किसी भी मौसम में उगाई जाने वाली इन सब्जियों में कैल्शियम, आयरन व प्रोटीन की मात्रा भी बरकरार रहे।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुशील सोलोमन ने बताया कि देश में करीब 10.3 लाख हेक्टेयर भूमि पर सब्जी फसलों की खेती की जा रही है। इससे प्रतिवर्ष 175 लाख टन प्रतिवर्ष सब्जियों का उत्पादन होता है। सब्जी के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। लेकिन उचित भंडारण, प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन समय पर न होने के कारण सब्जी फसल उत्पादन उचित लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं। सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए अब ताइवान तकनीकी मदद करने के साथ प्रशिक्षण भी देगा।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कुलपति प्रोफेसर सुशील सोलोमन, निदेशक शोध प्रोफेसर एचजी प्रकाश व संयुक्त निदेशक शोध डॉ. डीपी सिंह ने ताइवान जाकर विश्व सब्जी केंद्र के महानिदेशक डॉ. मारको बोपेरेइस, उपनिदेशक शोध डॉ. डेविड जानसन, क्षेत्रीय निदेशक डॉ. श्रेनीवास रामासामी के साथ वार्ता की। प्रोफेसर सोलोमन ने बताया कि सीएसए के खेतों में विकसित की गई प्रजातियों व शाक भाजी फसलों के सहयोगी बीज उत्पादन कार्यक्रम मॉड्यूल ताइवान में प्रस्तुत किया। ताइवान विश्व सब्जी केंद्र के निदेशक ने यह मॉड्यूल देखने के बाद कहा कि इस मॉड्यूल से बीजों की कमी को पूरा करने के साथ किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सकता है। विश्व सब्जी केंद्र इस मॉड्यूल में अपनी कुछ उन्नतशील प्रजातियों को जोड़ेगा जिससे उत्पादन में बढ़त होगी।
विश्व सब्जी केंद्र के वैज्ञानिक भविष्य में सीएसए का सहयोग करेंगे। वह सीएसए के एमएससी व पीएचडी छात्रों को प्रशिक्षण भी देंगे। जिससे भारत में शाक भाजी फसलों के अधिक से अधिक विशेषज्ञ तैयार किए जा सकें।
 

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