भारतीय वन्यजीव संस्थान के सदस्य परखेंगे गंगा में पानी की गुणवत्ता व जलीय जीवों की हकीकत
भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम जनवरी के पहले हफ्ते में सर्वे कर शहर आएगी तीन से चार दिनों तक गंगा में सर्वे का काम चलेगा गंगा व सहायक नदियों को लेकर शुरू हो चुकी कवायद फरवरी तक जारी रहेगी।
कानपुर : गंगा में पानी की गुणवत्ता कैसी है। कौन-कौन से ऐसे जलीय जीव हैं जिनकी संख्या गंगा में बढ़ी है और कौन से जलीय जीवों ने गंगा से मुंह मोड़ लिया है। इस हकीकत को परखने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के सदस्य जनवरी के पहले हफ्ते में शहर आएंगे। उक्त संस्थान के सदस्यों द्वारा गंगा व सहायक नदियों को लेकर सर्वे का काम शुरू हो गया है। इन दिनों सभी सदस्य रामगंगा नदी में सर्वे कर रहे हैं। सदस्यों का कहना है, कि कोरोना महामारी के दौर में पिछले ड़ेढ़ वर्षों से सर्वे का काम नहीं हो सका था। हालांकि, अब यह कवायद फरवरी तक चलेगी।
संस्थान के प्रोजेक्ट एसोसिएट आफताब ने बताया कि रामगंगा में पानी का स्तर पिछले सालों की तुलना में बेहतर हो गया। साथ ही गुणवत्ता भी सुधरी है। उन्होंने माना कि कुछ सालों पहले जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से सख्ती की गई थी, यह उसका ही असर है।
बरेली व मुरादाबाद में बड़ी तादाद में कछुए, डाल्फिन गायब
भारतीय वन्यजीव संस्थान के सदस्यों ने बताया कि सर्वे के दौरान बरेली व मुरादाबाद में अच्छी संख्या में कछुए मिले। पिछले सालों की तुलना में इनकी संख्या में इजाफा भी हुआ। हालांकि, जब सदस्यों को डाल्फिन नहीं मिलीं तो उन्हें कुछ निराशा भी हुई।
तीन से चार दिनों तक गंगा में चलेगा सर्वे का काम
शहर व आसपास के जिन स्थानों पर गंगा नदी बहती है, वहां सदस्यों द्वारा तीन से चार दिनों तक सर्वे का काम चलेगा। इसके लिए सदस्यों ने सारी तैयारियां कर ली हैं। सर्वे में मदद के लिए स्थानीय स्तर पर अफसरों व विशेषज्ञों की मदद भी लेंगे। साथ ही पूरी सर्वे रिपोर्ट भारतीय वन्यजीव संस्थान के आला अफसरों को सौंपी जाएगी।